कहीं संघ की नाराजगी ताे नहीं पानगढिय़ा के इस्तीफे की वजह? किसानों पर आयकर लगाने के सुझाव से विवादाें में थे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पसंदीदा अर्थशास्त्री और नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष अरविंद पानगढिय़ा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि वे दोबारा अकादमिक जगत में लौटना चाहते हैं।
मगर उनके अचानक आए इस्तीफे से साफ है कि सरकार से उनके कुछ अहम मामलों पर मतभेद थे। इससे पहले प्रधानमंत्री की पसंद के एक और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने भी कह दिया था कि वे रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद पर दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार नहीं हैं और दोबारा अकादमिक जगत में जाना चाहते हैं।
इस राय पर विवाद
नीति आयोग ने सुझाव दिया था कि किसानों पर भी आयकर लगना चाहिए। विवाद हुआ तो वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कृषि पर कर लगाने की स्थिति नहीं है।
तब जिक्र नहीं
पिछले दिनों पत्रिका से बातचीत में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के काम की तारीफ की थी। तब उन्होंने कार्यकाल बीच में ही छोडऩे की इच्छा नहीं जताई थी।
इसे मेरा इस्तीफा नहीं माना जाए: पानगढिय़ा
राजस्थान निवासी पानगढिय़ा ने कहा कि इसे मेरा इस्तीफा नहीं माना जाए। कोलंंबिया यूनिवर्सिटी ने मेरी छुट्टी बढ़ाने से मना कर दिया था। इस संबंध में दो महीने से प्रधानमंत्री से संपर्क में था। उनकी सलाह पर यूनिवर्सिटी को यह अनुरोध किया था कि वह मेरी छुट्टी बढ़ा दें। मगर वे तैयार नहीं हुए। इसके बाद मेरे सामने दो ही विकल्प थे या तो मैं वहां से इस्तीफा दूं या फिर अपनी मौजूदा जिम्मेदारी से मुक्त हो जाऊं। चूंकि यूनिवर्सिटी में मेरा कार्यकाल जीववपर्यंत है।