उपचुनाव नतीजे 2018: बिना किसी तामझाम के बीजेपी मुख्यालय पहुंचे अमित शाह, चेहरे से गायब थी हंसी
उत्तर प्रदेश और बिहार के लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी के पिछड़ने के बाद दिल्ली में बैठे भाजपा के शीर्ष नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बिना किसी तामझाम के पार्टी मुख्यालय पहुंच गए। उनके चेहरे से हंसी भी गायब थी। बता दें कि त्रिपुरा चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद पार्टी अध्यक्ष लाव-लश्कर के साथ मुख्यालय पहुंचे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां मौजूद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया था। लेकिन, बुधवार (14 मार्च) को जब वह पार्टी मुख्यालय पहुंचे तो ऐसा कुछ नहीं था। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर के साथ ही अररिया लोकसभा सीटों के लिए 11 मार्च को वोट डाले गए थे। बुधवार (14 मार्च) को मतगणना प्रारंभ हुआ। शुरुआती रुझानों के बाद गोरखपुर और फूलपुर में उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और अररिया (बिहार) में राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी ने बढ़त बना ली।
गोरखपुर को भाजपा के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रभावक्षेत्र माना जाता है। वह यहां से लगातार लोकसभा चुनाव जीतते रहे हैं। प्रदेश का सीएम बनने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता त्याग दी थी। दूसरी तरफ, फूलपुर से वर्ष 2014 में भाजपा प्रत्याशी केशव प्रसाद मौर्य ने रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की थी। उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ऐसे में दोनों सीटों के लिए उपचुनाव कराना अनिवार्य हो गया था। सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र में केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के पिछड़ने से शीर्ष नेतृत्व में बेचैनी बढ़ गई है। बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर और फूलपुर में कई चुनावी रैलियां की थीं।
बिहार में राजद के वरिष्ठ नेता तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद अररिया लोकसभा सीट खाली हो गई थी। महागठबंधन से नाता तोड़ कर NDA में शामिल होने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह पहला चुनाव है। सीएम ने खुद इस क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार किया था। राजद की ओर से बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने लगातार चुनाव प्रचार अभियान चलाया था। लालू यादव के जेल में बंद होने से चुनाव प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी तेजस्वी पर ही आ गई थी। ऐसे में मुख्यमंत्री और पूर्व उपमुख्यमंत्री दोनों के लिए उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण हो गया था। यहां शुरुआत के कुछ राउंड में भाजपा प्रत्याशी आगे थे, लेकिन उसके बाद राजद के उम्मीदवार ने बढ़त बना ली।