अयोध्या में विवादित भूमि पर अब बौद्ध समुदाय ने ठोंका दावा, SC में दायर हुई याचिका

हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बाद अब बौद्ध समुदाय ने भी अयोध्या की विवादित भूमि पर अपना दावा ठोक दिया है। बता दें कि बौद्ध समुदाय के कुछ सदस्यों ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। याचिका में दावा किया गया है कि अयोध्या की विवादित भूमि असल में एक बौद्ध स्थल है। याचिका में कहा गया है कि बौद्ध समुदाय के दावे का आधार विवादित भूमि पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा की गई 4 खुदाई हैं, जिनमें बौद्ध धर्म से जुड़े अवशेष मिले हैं। गौरतलब है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा विवादित स्थल पर अन्तिम बार खुदाई साल 2002-03 में की गई थी। याचिका के अनुसार, अयोध्या में बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले विवादित भूमि का संबंध बौद्ध धर्म से था।

बता दें कि यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में 6 मार्च को दाखिल की गई है। जिसे अयोध्या के रहने वाले एक बौद्ध विनीत कुमार मौर्या ने दाखिल किया है। याचिका कोर्ट में नागरिक मुकदमें के रुप में दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा की गई खुदाई में बौद्ध स्तूप, गोल स्तूप और दीवारें मिली हैं। जो कि विवादित स्थल पर बुद्ध विहार होने की ओर इशारा करती हैं। याचिकाकर्ता मौर्या का दावा है कि खुदाई के दौरान 50 जगहों पर खुदाई के बाद भी हिंदू मंदिर और किसी भी हिंदू संरचना के अवशेष नहीं मिले थे। याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या की विवादित भूमि को श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर और सारनाथ की तरह बुद्ध विहार घोषित करे।

वहीं खबर मिली है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अयोध्या विवाद से जुड़ी उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जो मुख्य पक्षकारों की तरफ से दाखिल नहीं की गई हैं। कोर्ट अब सिर्फ मुख्य पक्षकारों की याचिकाओं पर ही सुनवाई करेगा। उल्लेखनीय है कि अयोध्या विवाद में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, राम लला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा ही मुख्य पक्षकार हैं। मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से 19,590 पेज में से 3,260 पेज जमा नहीं हुए थे।  अयोध्या विवाद पर तीन जजों की पीठ सुनवाई कर रही है, जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा समेत जस्टिस अब्दुल नाजिर और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

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