इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भड़के चीफ जस्टिस, बोले- कुछ लोग सोचते हैं वे कुछ भी लिखकर बच जाएंगे
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के खिलाफ तीखी टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कई ऐसे लोग हैं जो ऐसा सोचते हैं कि वे कुछ भी लिखकर बच जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘हमलोग प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, लेकिन इन्हें जिम्मेदारी के साथ अपना काम करना होगा। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऐसा नहीं सोच सकती है कि वे रात भर में ही पोप बन गए हैं।’ चीफ जस्टिस ने गुरुवार (15 मार्च) को यह टिप्पणी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह और ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ से जुड़े मानहानि के एक मामले की सुनवाई के दौरान की। हालांकि, जस्टिस मिश्रा ने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने इस मामले पर नहीं बल्कि सामान्य तौर पर यह बात कही है। इस मामले पर अब अगली सुनवाई 12 अप्रैल को की जाएगी। शीर्ष अदालत ने गुजरात के ट्रायल कोर्ट को तब तक इस मामले की सुनवाई न करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने जय शाह को दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है। न्यूज पोर्टल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए थे।
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘आपकी कल्पनाओं में जो चीजें फिट होंगी उसके हिसाब से क्या आप कुछ भी लिखकर बच सकते हैं? क्या कोई व्यक्ति सिंहासन पर बैठकर कुछ भी लिख सकता है? क्या यही पत्रकारिता है? कोई किसी के बारे में कुछ भी बोलना कैसे शुरू कर सकता है? आप किसी पर अपने मन मुताबिक टिप्पणी कैसे कर सकते हैँ? कुछ सीमाएं भी होती हैं।’ ‘द वायर’ ने ‘द गोल्डन टच ऑफ जय अमित शाह’ हेडिंग से एक स्टोरी प्रकाशित की थी। इसमें वर्ष 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद जय शाह की कंपनी के टर्नओवर में 16,000 गुना तक की वृद्धि होने की बात कही गई थी। न्यूज पोर्टल का कहना है कि उसने दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी, लिहाजा उसके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। जय शाह ने इसके खिलाफ 100 करोड़ रुपये का मानहानि का दावा ठोका है।
इससे पहले जनवरी में गुजरात हाई कोर्ट ने ‘द वायर’ की उस मांग को ठुकरा दिया था, जिसमें जय शाह द्वारा दाखिल मानहानि के मामले को रद्द करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने पोर्टल के रिपोर्टर और एडिटर्स के खिलाफ मामला पाए जाने की बात कही थी। हाई कोर्ट ने कहा था, ‘आर्टिकल का सबसे परेशान करने वाला हिस्सा वह है, जिसमें जय की कंपनी के टर्नओवर को नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री चुने जाने से जोड़ा गया है। पहली नजर में यह अपमान करने वाला है।’