केरल में सीपीएम कार्यकर्ताओं पर लगा प्रदर्शन कर रहे किसानों के तंबू जला डालने का आरोप
केरल की सत्ताधारी पार्टी सीपीएम के कार्यकर्ताओं पर कन्नूर जिले में धान की भूमि के अध्रिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के टेंट जलाने का आरोप लगा है। वहीं पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे करीब 50 किसानों को गिरफ्तार कर उन्हें साइट से हटा दिया है। प्रदर्शन कर रहे किसानों में कई महिलाएं भी शामिल थीं। व्यलक्किली के बैनर तले किसानों का एक समूह कन्नूर के नेशनल हाइवे के पास अपने टेंट लगाकर हाइवे के लिए धान की भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था। प्रदर्शन के दौरान उस समय माहौल तनावपूर्ण हो गया जब बुधवार को दो किसानों खुदपर कैरोसिन डालकर आग लगाने की धमकी देने लगे।
इसे गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने किसानों को गिरफ्तार कर लिया और जहां वे प्रदर्शन कर रहे थे उस जगह को खाली करा दिया गया। सीपीआई (एम) कार्यकर्ताओं पर आरोप है कि प्रदर्शन कर रहे किसानों की गिरफ्तारी के बाद वे प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे और उन्होंने किसानों के टेंट्स को आग के हवाले कर दिया। इसकी पुष्टि किसानों को इकट्ठा करने वाले विनीत ने द न्यूज मिनट से की। रिपोर्ट के अनुसार, विनीत ने सीपीआई (एम) पर आरोप लगाते हुए कहा, “पार्टी द्वारा हमें कई बार धमकियां दी गई हैं। उन्होंने हमारे प्रदर्शन को कई तरह से रोकने की कोशिश भी की है।”
विनीत ने कहा, “हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है कि हाइवे बने, लेकिन हाइवे को धान की खेती वाली जमीन पर नहीं बनाना चाहिए। उनके पास कई विकल्प हैं तो वे उनके बारे में विचार क्यों नहीं करते? क्यों वे किसानों की आजीविका को प्रभावित कर रहे हैं?” आपको बता दें कि साल 2003 में कुप्पम-कुट्टिकोल नेशनल हाइवे का प्रस्ताव पारित हुआ था। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, उस समय उन्हें बताया गया था कि हाईवे जमीन के ऊपर से निकलेगा न कि धान की जमीन से होते हुए। 2016 में नया नोटिफिकेशन जारी किया गया, जिसमें कहा गया था कि 250 एकड़ धान की जमीन हाइवे के प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल की जाएगी।
इसके बाद किसानों ने हाई कोर्ट से गुहार लगाई। अपनी याचिका में किसानों ने कोर्ट से कहा कि सरकार इस तरह का नोटिफिकेशन हमसे बिना बात किए कैसे जारी कर सकती है। उस समय कोर्ट ने किसानों के हक में फैसला सुनाया था। प्रदर्शनकारियों ने मंत्री कदन्नाप्पली रामाचंद्रन की उपस्थिति में जिला कलेक्टर के साथ बैठक की थी, जिसमें उन्होंने सहमति जताई थी कि धान की खेती वाली जमीन को हाइवे के लिए नहीं लिया जाएगा और जमीन के ऊपर से हाईवे निकलेगा। किसानों के अनुसार, फिर से दो महीने पहले एक नोटिफिकेशन जारी किया गया, जिसमें दोबारा जमीन को हाइवे के लिए इस्तेमाल करने की बात कही गई और इसी को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे थे।