शोध का दावा, ज्यादा धूम्रपान करने से बढ़ सकता है बहरापन का खतरा
स्मोकिंग करने वाले लोगों के लिए एक बुरी खबर है। हाल ही में एक शोध में इस बात का दावा किया गया है कि जो लोग स्मोकिंग करते हैं उनमें बहरेपन का खतरा ज्यादा होता है। निकोटिन एंड टोबैको रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि धूम्रपान करने से व्यक्ति के सुनने की क्षमता पर बेहद बुरा असर पड़ता है। मुख्य शोधकर्ता और जापान के नेशनल सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ एंड मेडिसिन के डॉ. हुआनहुआन हू ने बताया कि शोध के परिणामों में स्मोकिंग से बहरेपन की समस्या होने को लेकर पर्याप्त प्रमाण मिले हैं। ऐसे में इस समस्या को टालने के लिए तंबाकू के कम सेवन की बेहद आवश्यकता है।
शोध में 20-64 साल के तकरीबन 50 हजार लोगों को शामिल किया गया था। इन सभी लोगों को सुनने की क्षमता से संबंधित कोई परेशानी नहीं थी। शोधकर्ताओं ने इन सभी लोगों की सालाना हेल्थ रिपोर्ट का विश्लेषण किया तथा उनकी जीवनशैली से जुड़े प्रश्नों की एक प्रश्नावली का बारीकी से अध्ययन किया। जिसके बाद तकरीबन 3500 लोगों में हाई फ्रीक्वेंसी जबकि तकरीबन 1500 लोगों में लो-फ्रीक्वेंसी का हियरिंग लॉस का मामला देखा गया। शोधकर्ताओं ने बताया कि किसी भी व्यक्ति में हाई फ्रीक्वेंसी और लो फ्रीक्वेंसी हियरिंग लॉस का मामला उसके सिगरेट कंजप्शन के हिसाब से बढ़ता है।
उन्होंने आगे बताया कि स्मोकिंग की वजह से होने वाला हियरिंग लॉस सिगरेट छोड़ने के तकरीबन 5 साल बाद कम होना शुरू होता है। शोध के लेखक हू ने बताया कि एक लंबे समय तक बड़े सैंपल साइज के अध्ययन के बाद हमारे पास इस बात के पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध हैं कि स्मोकिंग करने से सुनने की क्षमता में कमी आती है। इससे पहले एक रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई थी कि धूम्रपान से मोतियाबिंद हो सकता है। एक अमेरिकी शोध में यह दावा किया गया था कि तंबाकू खाने वाले लोगों में मोतियाबिंद की संभावना कुछ ज्यादा ही होती है। साथ ही साथ ऐसे लोगों के संपर्क में रहने वाले लोग भी इससे प्रभावित होते हैं।