हरियाणा के मंत्री अनिल विज बोले- राष्ट्रगान से ‘अधिनायक’ शब्द हटा देना चाहिए
हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल विज शनिवार (17 मार्च) को कहा कि भारत के राष्ट्रगान से ‘अधिनायक’ शब्द को हटा देना चाहिए। समाचार एजेंसी एएनआई से अनिल विज ने कहा- ”ये ठीक बात है ‘सिंध’ को हटाने की बात की है और ये जो अधिनायक शब्द है, ये भी हटना चाहिए, अधिनायक का मतलब होता है तानाशाह और हिन्दुस्तान में अब कोई तानाशाह नहीं है। हिन्दुस्तान में डेमोक्रेसी है… प्रजातंत्र है। इसलिए अधिनायक शब्द पर भी विचार करना चाहिए हटाने के लिए।” बता दें कि शुक्रवार (16 मार्च) को कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर रिज्योलूशन पेश कर राष्ट्रगान में संसोधन करने की बात रखी थी। रिपुन बोरा ने बाद में मीडिया को बताया था कि राष्ट्रगान में ‘सिंध’ का उल्लेख किया गया है जो अब पाकिस्तान में आता है और पाकिस्तान एक शत्रु देश है, जबकि ‘पूर्वोत्तर भारत’ देश का हिस्सा होते हुए भी राष्ट्रगान में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रगान से ‘सिंध’ हटाकर उसकी जगह उत्तर-पूर्व को रखा जाना चाहिए।
#WATCH: Haryana Minister Anil Vij says ‘Theek baat hai Sindh ko hataane ki baat hai. Adhinayak shabd ko bhi hatna chahiye. Adhinayak ka matlab hota hai taanaashah. Hindustan mein ab koi taanaashah nahi hai’. pic.twitter.com/z39oGbbv8O
— ANI (@ANI) March 17, 2018
प्राइवेट मेंबर रिज्योलूशन में कुछ बिंदुओं के माध्यम से लिखा गया है- ”भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ में ‘सिंध’ का उल्लेख किया गया है जो कि अब भारत का हिस्सा नहीं है। ‘उत्तर-पूर्व’ भारत का अहम हिस्सा है, उसका राष्ट्रगान में कहीं उल्लेख नहीं है।” आगे के बिंदू में लिखा है- ”तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा में कहा था जिन शब्दों और संगीत से मिलकर जन गण मन राष्ट्रगान बना है, समय के साथ सरकार उसके शब्दों को बदलने का अधिकार रखती है।” प्राइवेट मेंबर रिज्योलूशन लिखा गया है कि यह सदन सरकार से आग्रह करता है कि राष्ट्रगान से सिंध शब्द को हटा देना चाहिए और उसकी जगह नॉर्थ-ईस्ट इंडिया को राष्ट्रगान में शामिल करना चाहिए।
बता दें कि नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर ने भारत का राष्ट्रगान 1911 में लिखा था। संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को रविंद्र नाथ टैगोर के लिखे ‘जन-गण-मन’ को राष्ट्रगान के तौर पर मान्यता दी थी। उस वक्त भारत का भू-भाग बलूचिश्तान से लेकर पूर्व में सिलहट तक फैला था। देश का बंटवारा हुआ तो उन इलाकों के कई हिस्से पाकिस्तान और बांग्लादेश में चले गए।