पूर्व सैनिक और एक बीजेपी कार्यकर्ताओं पर प्रो-पाकिस्तानी नारे लगाने का आरोप में देशद्रोह का मुकदमा
जम्मू क्षेत्र में नियंत्रण रेखा से 7-8 किलोमीटर दूर नौशेरा कस्बे में इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां एक पूर्व सैनिक, दूसरा आर्मी कैंटीन चलाने वाला, बाकी दो बीजेपी कार्यकर्ता, इन चारों पर 8 मार्च को प्रो-पाकिस्तानी नारे लगाने के आरोप में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ। अवतार सिंह (60, गुरमीत सिंह (48), अरुण गुप्ता (37) और आशी गुप्ता (24) फिलहाल छिपे हुए हैं। इस मामले ने एक ऐसे प्रदर्शन को जन्म दिया है जिसने पूरे इलाके को बंद करवा दिया है। पिछले करीब एक महीने से बैंक व सरकार कार्यालय तक बंद हैं। एक ज्वाइंट एक्शन कमिटी के अनुसार विरोध से नौशेरा को लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
इस विरोध के मूल में एक 60 साल पुरानी मांग है कि नौशेरा को जिला बनाने की है। अभी नौशेरा, राजौरी जिले का सब-डिविजन है। 8 मार्च को जब खबर आई कि बीजेपी के मंत्री मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के प्रस्ताव, कि नौशेरा और सुंदरबनी सब-डिविजनों के लिए एक कॉमन एडिशनल डिप्टी कमिश्नर बना दिया जाए जो दोनों के लिए एक महीने के रोटेशन पर काम करेगा, के लिए सहमत हैं तो गुस्सा भड़क उठा।
लगभग 90 फीसदी हिंदू आबादी वाली जनसंख्या में इसे नौशेरा के खिलाफ ‘भेदभाव’ के एक और इशारे की तरह देखा गया। 1947 से पहले पाकिस्तान के मीरपुर का हिस्सा रहे नौशेरा बंटवारे के समय भारत मे आ गए। 2014 में नौशेरा और कलाकोटे विधानसभा सीट से बीजेपी जीती और पहली बार लोगों को लगा कि उनकी मांग आखिरकार सुनी जाएगी।
8 मार्च को फैसला सार्वजनिक किया गया और लोग सड़कों पर निकल पड़े। भाजपा और राज्य सरकार के खिलाफ नारे लग रहे थे। गुस्से में उनमें से कुछ ने (कथित तौर पर अवतार, गुरमीत, अरुण व आशी समेत) प्रो-पाकिस्तानी नारे लगाए। नौशेरा के एडिशनल सुप्रिटेंडेंट ऑफ पुलिस, मास्टर पॉप्सी ने कहा कि नारे शांति को नुकसान पहुंचा सकते थे और इसलिए जिनकी पहचान हो सकी, उन चारों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया।
पॉप्सी ने कहा, ”एक बार वो (चारों आरोपी) पकड़े जाते हैं तो उनसे मिली जानकारी के आधार पर उनके साथ वालों को भी पकड़ लेंगे।” अवतार की पत्नी किरपाल कौर (50) का कहना है कि उनके पति ”देशभक्त हैं और देश की सीमाओं की रक्षा कर चुके हैं। वह देश के खिलाफ कुछ क्यों करेंगे?” दूसरे आरोपी गुरमीत के परिवार के कई लोग अभी सेना में हैं और कई रिटायर हो चुके हैं। आर्मी कैंटीन चलाने के अलावा गुरमीत अपने गांव का मुखिया भी है।
तीसरा आरोपी अरुण हार्डवेयर, पेन्ट्स, टाइल्स और कंस्ट्रक्शन मैटीरियल्स का बिजनेस करता है। आशी उसका भतीजा है और अपने पिता के कपड़ों के काम में हाथ बंटाता है। पड़ोसियों को कहना है कि उनके परिवार ने 2014 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के विजेता उम्मीदवार रविंदर रैना के लिए प्रचार किया था।