राज ठाकरे ने गुजरात को लेकर दिया ऐसा बयान कि गुजरातियों के खिलाफ तोड़फोड़ करने लगे मनसे वाले

राज ठाकरे की गुड़ी पड़वा रैली से वापस लौट रहे महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने रास्ते में जमकर गुंडागर्दी की। बोयसर लौट रहे इन लोगों ने पुणे जिले के कुछ कारोबारी प्रतिष्ठानों में लगे गुजराती विज्ञापन बोर्ड उखाड़ डाले और उसे तोड़ दिया। मनसे के कार्यकर्ताओं ने मुंबई-अहमदाबाद नेशनल हाई वे 8 पर मौजूद 6 होटलों के साइनबोर्ड को नष्ट कर दिया क्योंकि ये गुजराती में लिखे हुए थे। पुलिस ने इस मामले में शिकायत दर्ज कर ली है, लेकिन अबतक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। बता दें कि शिवाजी पार्क में अपने भाषण में राज ठाकरे ने वसई में गुजराती में लिखे साइन बोर्ड पर आपत्ति जताई थी। ठाकरे ने अपने भाषण में कहा था कि इन दिनों वसई गुजरात जैसा दिखाई देता है।

ठाणे क्षेत्र में मनसे के अध्यक्ष अविनाश जाधव ने बताया कि राज ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी के कार्यकर्ताओं ने रविवार (18 मार्च) देर रात जिले के वसई इलाके में मुंबई- अहमदाबाद राजमार्ग पर लगे बीस से ज्यादा कारोबारी प्रतिष्ठानों के विज्ञापन बोर्ड उखाड़ फेंके। जाधव ने पीटीआई से फोन पर कहा, ‘‘ वसई और ठाणे जिला महाराष्ट्र में हैं, गुजरात में नहीं.. और अब हम गुजराती में लिखे विज्ञापन बोर्ड बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’ उन्होंने दावा किया कि इस प्रकार के विज्ञापन बोर्डों के खिलाफ उनका आंदोलन जारी रहेगा। वसई पुलिस नियंत्रण कक्ष ने इस घटना की पुष्टि की है, लेकिन बताया कि इसमें अभी तक किसी प्रकार मामला दर्ज नहीं किया गया है।

 

यह घटना मनसे प्रमुख राज ठाकरे के उस बयान के दो दिन बाद हुई है, जिसमें उन्होंने 2019 के चुनाव में‘‘ मोदी- मुक्त भारत’’ के लिये विपक्षी एकता का आह्वान किया था। ठाकरे ने शनिवार को मध्य मुंबई के शिवाजी पार्क में जनसभा को संबोधित करते हुये कहा था, ‘‘ देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के झूठे वादों से परेशान है।’’ सभी विपक्षी पार्टियों को भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार से छुटकारा पाने और‘‘ मोदी मुक्त भारत’’ के लिये एक साथ आना चाहिए। पुलिस ने बताया कि इससे पहले पिछले साल जुलाई में मनसे कार्यकर्ताओं ने मुंबई में दादर की एक आभूषण की दुकान और माहिम में एक होटल में हंगामा किया था और उनसे गुजराती में लिखे विज्ञापन बोर्ड हटाने के लिये कहा था। इसके बाद दो कारोबारी प्रतिष्ठानों ने मनसे के विरोध के कारण अपने गुजराती में लिखे विज्ञापन बोर्ड हटा लिये थे।

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