पाकिस्तान के सबसे बड़े हिंन्दू मंदिर के इस सूख रहे तालाब के लिए लड़ रहा है एक मुस्लिम शख्स

पाकिस्तान के सबसे बड़े हिंन्दू मंदिर का तालाब सूख रहा है। तालाब के पानी के सूखने की वजह मंदिर के पास के इलाके में बनीं सीमेंट फैक्ट्रियां बताई जा रही हैं। एक मुस्लिम शख्स मंदिर के तालाब के पानी के लिए लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन पाक सरकार का उदासीन रवैया नजर आ रहा है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख के मुताबिक पिछले वर्ष पाकिस्तान के चीफ जस्टिस मियां शाकिब निसार ने इसका नोटिस लिया था और उन्होंने कहा था- ”यह मंदिर केवल हिन्दू समुदाय के लिए सांस्कृतिक महत्व ही नहीं रखता है, बल्कि पाकिस्तान की राष्ट्रीय विरासत का हिस्सा है। हमें इसे बचाना होगा।” चीफ जस्टिस के आदेश के बाद पाक सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई रिपोर्ट में स्वीकार किया गया कि सीमेंट फैक्ट्रियों की बोरिंग की वजह से तालाब के जल स्तर में कमी आई है। इस पर पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने यह भी आदेश दिया कि सीमेंट फैक्ट्रियों की पानी का आपूर्ति के लिए किसी और विकल्प पर सोचना चाहिए और तालाब के पानी को संरक्षित करना चाहिए। लेकिन पाक सरकार और एजेंसियों की तरफ से ठोस कार्रवाई होती नहीं दिख रही है और मंदिर के तालाब के पानी के सूखने को लेकर कई तरह की दलीलें पेश की जा रही हैं।

यहां के गांव चकवाल निवासी वसीम अहमद रजा वर्षों से कटासराज मंदिर के पानी को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। रजा ने पानी के सूखने का कारण सीमेंट फैक्ट्रियों को बताया। रजा ने बताया कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण एजेंसी को इस बारे में प्रार्थनापत्र लिखा था। जिले के पर्यावरण अधिकारी ने माना था कि इलाके की हरियाली पर सीमेंट फैक्ट्रियों की वजह से असर पड़ा है लेकिन उन्होंने पानी की कमी से इनकार किया था। लेकिन बाद में सीमेंट फैक्ट्री को प्रदूषण रोकने के लिए 30 हजार पौधे लगाने का आदेश दिया गया था। डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि मंदिर के तालाब का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही यह पास के कस्बे की प्यास बुझाता है और सिंचाई के लिए भी इसके पानी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसके पास बनी सीमेंट फैक्ट्रियों की वजह से तालाब के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है।

2000 में जब पास की कहून घाटी में सीमेंट फैक्ट्रियां लगना शुरू हुईं तो लोगों ने महसूस किया कि जमीन का पानी सूखने लगा था। लोगों के बोर वेल सूखने लगे थे। कटासराज मंदिर का तालाब भी इसे अछूता नहीं रहा और उसका पानी भी सूखने लगा। वर्षा के जल पर निर्भर करने वाले इस इलाके में मई 2017 पानी इतना सूख गया कि मंदिर के तालाब की सारी सीढ़ियां दिखने लगीं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी सती की मृत्यु के बाद भगवान शंकर इतने रोए थे कि उनकी आंखों से बहे आंसुओं से एक तालाब तैयार हो गया था। 650 ईसवी और 950 ईसा पूर्व उस तालाब के किनारे शिव मंदिर बनाया गया जिसे ‘कटासराज मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। यहां शिव के अलावा राम और हनुमान समेत सात मंदिरों का समूह है। बंटवारे के बाद कटासराज मंदिर पाकिस्तान के हिस्से में चला गया इसलिए यह वहां सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है और भारत-पाक समेत दुनिया भर में बसे हिन्दू तीर्थ यात्री कटासराज मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और इसके तालाब में डुबकी लगाते हैं।

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