कर्नाटक: सरकार की घोषणा के बाद कलबुर्गी में भिड़े लिंगायत और वीरशैव के अनुयायी
कर्नाटक सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की सिफारिश को मंजूरी देकर नए विवाद को हवा दे दी है। वीरशैव समुदाय के अनुयायी राज्य की कांग्रेस सरकार के इस फैसले के खिलाफ कलबुर्गी में विरोध करने के लिए जुटे थे। वहीं, लिंगायत समुदाय के लोग फैसले के समर्थन में प्रदर्शन के लिए उसी जगह पर जुटे थे। इस दौरान दोनों समुदायों के अनुयायियों के बीच टकराव हो गया। बता दें कि लिंगायत समुदाय लंबे समय से हिंदू धर्म से अलग दर्जा देने की मांग कर रहा था। सिद्धारमैया सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नागमोहन समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने की घोषणा कर दी। लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग पर विचार के लिए इस समिति का गठन किया गया था। कर्नाटक की कैबिनेट ने इसके प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र के पास भेज दिया। बता दें कि किसी भी समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने के मामले पर केंद्र सरकार ही अंतिम फैसला ले सकती है। अलग धर्म का दर्जा मिलने के बाद लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने की राह भी आसान हो जाएगी। इसके बाद मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 25-28) के तहत लिंगायत को विशेष अधिकार भी मिल सकेंगे।
Karnataka: Clashes broke out b/w #Lingayat followers & Veerashaiva followers in Kalaburagi. Lingayat followers had come to celebrate state cabinet’s approval for recommendation of separate religion for Lingayat community, Veerashaiva followers had come to protest against the same pic.twitter.com/Ds5rneqQxU
— ANI (@ANI) March 19, 2018
सिद्धारमैया की सरकार ने प्रत्येक वीरशैव समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का भी निर्णय लिया है। इस समुदाय के लोग हिंदू देवी-देवताओं में आस्था रखते हैं। साथ ही इसके अनुयायी लिंगायत नेता बसावन्ना या बसावेश्वर के दर्शन का भी अनुसरण करते हैं। बसावन्ना समानता और आत्मा/ईष्ट लिंग की उपासना के उपदेशक थे। उन्होंने जाति व्यवस्था एवं धार्मिक अनुष्ठान का विरोध किया था। ‘इकोनोमिक टाइम्स’ ने कर्नाटक के एक कैबिनेट मंत्री के हवाले से बताया कि राज्य सरकार के फैसले से 85 लाख की आबादी वाला लिंगायत समुदाय लाभान्वित होगा। वीरशैव समुदाय इसके तहत नहीं आएगा। राज्य में इस समुदाय की कुल आबादी तकरीबन 10-15 लाख है। इसको लेकर वीरशैव समुदाय आक्रोशित है। लिंगायत धर्म होराता समिति के सचिव एसएम. जामधर ने सिद्धारमैया सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि बसावा के दर्शन को मानने वाले समुदाय में शामिल हो सकते हैं। बता दें कि दिग्गज बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस. येदियुरप्पा लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का विरोध करते रहे हैं। येदियुरप्पा खुद लिंगायत समुदाय से आते हैं।