बैंक घोटाले में मुंबई की निजी कंपनी के तीन निदेशक गिरफ्तार
मुंबई की एक निजी कंपनी द्वारा फर्जी दस्तावेजों के सहारे 20 बैंकों के समूह को चार हजार करोड़ रुपए का चूना लगाने का मामला सामने आया है। इस मामले में उस निजी कंपनी के तीन निदेशकों को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया है। बैंकों ने मुंबई पुलिस के साथ ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के पास भी शिकायत दर्ज कराई है। सीबीआइ भी इस मामले में जांच कर रही है। सीबीआइ की प्राथमिकी और जांच के आधार पर ईडी ने धनशोधन अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच की दस्तावेजी कार्रवाई शुरू कर दी है। ताजा घोटाला एक्सिस बैंक की अगुआई वाले 20 बैंकों के समूह (कंसोर्टियम) में सामने आया है। एक्सिस बैंक ने मुंबई की कंपनी पारेख एल्युमिनेक्स लिमिटेड (पीएएल) के निदेशकों- भंवरलाल भंडारी, प्रेमल गोरा गांधी और कमलेश कानूनगो के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था। इस प्राथमिकी के आधार पर तीनों की गिरफ्तारी की गई है।
इन पर आरोप है कि इन्होंने साखपत्र (लेटर्स आॅफ क्रेडिट, एलओयू) का इस्तेमाल किया और जाली कंपनियों के बिल दिखाकर एक्सिस बैंक की मुख्य शाखा को 250 करोड़ रुपए का चूना लगाया था। एक्सिस बैंक के अलावा स्टेट बैंक आॅफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंकों की अलग-अलग शाखाओं से गबन की शिकायत आर्थिक अपराध शाखा और सीबीआइ के पास दर्ज कराई गई है। बैंकों के समूह में शामिल कोटक महिंद्रा बैंक ने कर्ज पंचाट (डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल) में शिकायत दर्ज कराई है कि उसके द्वारा जारी 110 करोड़ रुपए के सीडीआर (कॉरपोरेट डेब्ट रीस्ट्रक्चरिंग) एनपीए हो गए हैं। 30 नवंबर 2015 तक कुल सीडीआर देनदारी 2912.90 करोड़ रुपए की हो गई थी।
एक्सिस बैंक ने अपनी प्राथमिकी में कंपनी के अन्य निदेशकों अमिताभ पारेख, राजेंद्र गोठी, देवांशु देसाई, किरन पारिख और विक्रम मोरदानी के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई है। इनमें अमिताभ पारेख की 2013 में मौत हो चुकी है। जांच एजंसियां इन निदेशकों से पूछताछ की तैयारी कर रही हैं। पारेख अल्यूमिनेक्स के खिलाफ स्टेट बैंक आॅफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक की शिकायत पर सीबीआइ पहले से ही जांच कर रही है। इन बैंकों का आरोप है कि कारोबार के लिए कर्ज के तौर पर और साखपत्र के आधार पर जारी कराए गए धन को कंपनियों के निदेशकों ने अपने निजी खातों में ट्रांसफर करा लिया। अधिकांश धन भवन निर्माण क्षेत्र के बिल्डरों को उनकी परियोजनाओं के लिए दिया गया।
दरअसल, कंपनी ने शुरू में बैंकों में कम अवधि के कर्ज लिए और उन्हें चुका भी दिए। बैंकों का भरोसा बढ़ने के बाद फर्जी दस्तावेज जमा कर रकम जारी कराई। सीबीआइ के अनुसार, इस कंपनी ने पहले 125 करोड़ के तीन कम अवधि के कर्ज लिए और बैंक का भरोसा जीतने के लिए चुका भी दिए। साल 2011 में कंपनी ने एक्सिस बैंक से 127.5 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। इसके लिए उसने निदेशक मंडल की ऐसी बैठक के दस्तावेज जमा कराए, जो कभी हुई ही नहीं। उन दस्तावेजों के आधार पर बैंक ने कंपनी को कच्चा माल और उपकरण खरीदने के एवज में कर्ज दे दिया। हालांकि, यह रकम निदेशकों ने अपने निजी खातों में ट्रांसफर करा ली। कंपनी ने बैंकों को बताया कि उसने सूर्यकिरण फेरो अलॉयज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी से 49 करोड़ रुपए के अल्यूमीनियम फॉयल खरीदे हैं। सूर्यकिरण ने 50 करोड़ के साखपत्र भुनाने के लिए दस्तावेज जमा कराए, जिसमें पारेख अल्यूमिनेक्स को माल आपूर्ति के बिल थे। बाद में आॅडिट के दौरान बिलों को जाली पाया गया। भिवंडी में मुख्यालय वाली कंपनी सूर्यकिरण भी फर्जी पाई गई। इसी तरह भूमिका फॉयल्स, भूषण फॉयल्स जैसी कई बोगस कंपनियों के जरिए बैंकों से मिले धन को खपाया गया।