राहुल गांधी से मुलाकात के बाद NDA के पूर्व सहयोगी ने थामा UPA का दामन, नरेंद्र मोदी पर वादों को न निभाने का लगाया आरोप

NDA की एक और सहयोगी पार्टी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले साथ छोड़ दिया है। स्‍वाभिमानी शेतकारी संगठन (एसएसएस) ने नरेंद्र मोदी की सरकार पर किसानों से किए गए वादे को पूरा न करने का आरोप लगाया है। पार्टी के नेता राजू शेट्टी कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और महाराष्‍ट्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री अशोक चह्वाण के साथ सोमवार (19 मार्च) को नई दिल्‍ली में कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी। इसके बाद उन्‍होंने कांग्रेस की अगुआई वाले UPA में शामिल होने की घोषणा कर दी। राहुल से मिलने के बाद एसएसएस नेता ने कहा, ‘बीजेपी ने भारत के किसानों के साथ धोखा किया है। मैं मोदी के उस वादे के बाद NDA में शामिल हुआ था, जिसमें उन्‍होंने स्‍वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही थी। वादों पर अमल को तो भूल जाइए, उन्‍होंने तो फसलों की कीमतेें भी कम कर दीं। इसलिए किसानों का नेता होने के नाते मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि यह पार्टी (बीजेपी) दोबारा सत्‍ता में वापसी न करे।’ स्‍वाभिमानी शेतकारी संगठन और NDA के रिश्‍तों में पिछले साल अक्‍टूबर में ही तल्‍खी आ गई थी। एसएसएस ने उसी वक्‍त NDA से अलग होने की घोषणा कर दी थी। शेट्टी की पार्टी कांग्रेस के नेतृत्‍व में निकाली गई संविधान बचाओ रैली में भी शामिल हुई थी।

राजू शेट्टी पिछले कुछ महीनों से लगातार सरकार को निशाना बना रहे हैं। खासकर किसानों की स्थिति को लेकर हमलावर रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही महाराष्‍ट्र के हजारों किसान अपनी मांग के साथ मुंबई पहुंच गए थे। उन्‍होंने मांगें न माने जाने पर विधानसभा का घेराव करने की घोषणा की थी। ये किसान नासिक से पैदल चलकर मुंबई पहुंचे थे। फड़नवीस सरकार को किसानों की अधिकतर मांगों को मानना पड़ा था। इसके बाद जाकर किसानों का प्रदर्शन थमा था। किसानों के आंदोलन को कई राजनीतिक दलों ने भी समर्थन दिया था।

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्‍य का दर्जा देने के मुद्दे पर तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने कुछ दिनों पहले ही NDA से नाता तोड़ने की घोषणा की थी। विशेष दर्जे को लेकर आंध्र की विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने का नोटिस दिया था। शुरुआत में NDA से अलग न होने की बात करने वाले राज्‍य के मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को आखिरकार केंद्र में सत्‍तारूढ़ गठबंधन से अलग होकर अविश्‍वास प्रस्‍ताव का समर्थन करने का फैसला करना पड़ा था।

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