मोदी सरकार ने खरीदे 36 लाख के 140 एयर प्‍योरिफायर, पीएमओ से ज्‍यादा राजनाथ सिंह के मंत्रालय पर खर्च

वायु प्रदूषण से जूझती दिल्ली में सेहत की सुरक्षा के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने 36 लाख के 140 प्योरिफायर खरीदे। ये प्योरीफायर प्रधानमंत्री कार्यालय सहित छह मंत्रालयों में लगे। 2014 से 2017 के बीच यह खरीद ऐसे वक्त हुई, जब कि सरकार दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कोई ठोस कदम न उठाने के कारण आलोचनाओं के घेरे मे रही। न्यूज एजेंसी रायटर्स ने आरटीआई के हवाले से मिली जानकारी के आधार पर प्योरीफायर खरीदने से जुड़ी रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में आम जन को प्रदूषण से निजात दिलाने की कोशिशें न होने पर सवाल उठाते हुए हर मंत्रालय में उपकरणों की खरीद की धनराशि का ब्यौरा दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय से भी ज्यादा खरीद गृहमंत्रालय ने की है।

किस मंत्रालय ने कितने प्योरिफायर खरीदेः राजनाथ सिंह के गृहमंत्रालय ने सर्वाधिक 44 एयर प्योरीफायर खरीदे। जिस पर 20 हजार डॉलर(13 लाख खर्च हुए। जबकि संसद भवन स्थित नरेंद्र मोदी के दफ्तर ने प्योरिफायर पर 11 हजार डॉलर यानी सात लाख 15 हजार रुपये खर्च किए। सरकार के थिंक टैंक के रूप में कार्य करने वाले नीति आयोग ने भी इतनी ही धनराशि प्योरिफायर पर खर्च किए। इसी तरह पर्यटन, विदेश मंत्रालय, कृषि और स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी प्योरिफायर खरीदे। नीति आयोग में ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के अफसरों को एयर प्योरिफायर की सुविधा मिली। आरटीआई के जरिए रायटर्स ने ये आंकड़े जुटाए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र में पॉल्यूशन कंट्रोल प्लानिंग से जुड़े एक अफसर ने कहा कि सरकारी नियम-कायदों में एयर प्योरीफायर्स खरीदने की कोई व्यवस्था नहीं है, ऐसी खरीद सिर्फ ब्यूरोक्रेट्स के अनुरोध पर ही होती है।

मंत्रालयों में खरीदे गए एयर प्योरिफायर्स का न्यूज एजेंसी रायटर्स द्वारा जाारी चार्ट

स्कूल करने पड़े थे बंदः पिछले साल दिल्ली की आबोहवा कुछ ज्यादा ही प्रदूषित रही। मामला सुर्खियों में रहा। लोग सड़कों पर मास्क लगाकर घूमने को मजबूर हुए। बच्चे बीमार न हों, इसके लिए स्कूलों को बंद करने के अलावा कोई चारा नहीं रहा। सरकारी स्कूलों में कोई सरकार के स्तर से इंतजाम भी नहीं किए गए। जिस पर राज्य और केंद्र सरकार को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था। स्कूलों में वायु-प्रदूषण से निपटने के इंतजामों पर केंद्रीय विद्यालय संगठन के कमिश्नर संतोष कुमार ने रायटर्स से कहा-एयरकंडीशंड दफ्तरों में ही एयरप्योरीफायर काम करते हैं। हमारे स्कूल वातानुकूलित नहीं हैं। खिड़कियां खुली हैं। लिहाजा एयर प्योरीफायर काम नहीं कर सता।

कई गुना बढ़ी एयर प्योरिफायर की बिक्रीः एयर प्योरीफायर एक ऐसा उपकरण होता है, जो कमरे में आने वाली हवा को फिल्टर करता है। जिस देश में वर्ल्ड बैंक की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक आम आदमी की सालाना कमाई 1709 डॉलर हो, उस देश में यह उपकरण आम आदमी से दूर है। फिर भी 20 लाख से अधिक के शहर दिल्ली में इसकी बिक्री बढ़ रही है। अमेजन डॉट कॉम के मुतबिक 2017 में एयर प्योरीफायर्स की बिक्री साढ़े तीन गुना ज्यादा हुई।

पिछले साल जब वायु प्रदूषण का मामला गरमाया था तो कई बातें सुर्खियों में रहीं थीं। मसलन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जहां शहर के गैंस चेंबर बनने की बात कही थी, वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी तमाम सलाह लोगों के लिए जारी की थी। मसलन, वायु प्रदूषण की हालत में घरों के दरवाजे बंद रखे जाएं। खिड़कियों को भी न खुला रखें और बाहर से हवा खींचने वाले एयर कंडीशंड का उपयोग न करें। एक ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारत मे कुल बीमारियों में से दस प्रतिशत बीमारियां वायु प्रदूषण के कारण होती हैं। एयर प्योरीफायर्स खरीदे जाने को लेकर रायटर्स के सवालों का किसी मंत्रालय ने जवाब नहीं दिया।

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