कश्‍मीर में आत्‍मसमर्पण करने वाले आतंकी को 6 लाख रुपए के इनाम के साथ हर महीने आर्थिक सहायता देगी PDP-BJP सरकार

जम्मू-कश्मीर सरकार ने नई सरेंडर नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले आतंकियों को 6 लाख रुपए इनाम देने का एलान किया है। अगर आतंकी हथियार के साथ आत्मसमर्पण करते हैं तो उन्हें इसके लिए अतिरिक्त आर्थिक सहायता दी जाएगी। मीडीया से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, आतंकियों के सरेंडर करने पर आर्थिक सहायता दिए जाने के साथ ही सरकार उन्हें हर महीने कुछ पैसों का भुगतान भी करेगी। बता दें कि कुछ समय पहले गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर सरकार को सुझाव दिया था कि आतंकियों को मुख्यधारा में लाने के लिए एक सरेंडर एंड रिहैबिलिटेशन पॉलिसी बनायी जाए, जिससे आतंक की राह पर जा चुके लोगों को एक बार फिर से मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।

उल्लेखनीय है कि पहले सरेंडर पॉलिसी सिर्फ उन्हीं आतंकियों के लिए बनायी गई थी, जो 1990 के दशक में सीमापार कर कश्मीर में दाखिल हुए और फिर यहीं फंसकर रह गए थे। वहीं, अब नई पॉलिसी में स्थानीय आतंकियों को तरजीह दी जा रही है। साथ ही, ऐसे आतंकियों को पासपोर्ट और नौकरी की सुविधा भी दी जा रही है, ताकि मुख्यधारा में लौटने के बाद ये आतंकी आराम से जीवनयापन कर सकें। सूत्रों के अनुसार, सरकार आतंकियों को 6 लाख रुपए फिक्सड डिपॉजिट के तौर पर देगी, जो कि 10 साल बाद निकाले जा सकेंगे। इसके साथ ही सरकार आतंकियों को हर महीने 4000 रुपए की आर्थिक सहायता भी देगी। पिछली सरेंडर नीति में यह इनाम 1.5 लाख रुपए था और हर महीने भी किसी तरह की सहायता नहीं दी जाती थी।

पिछले दिनों कश्मीर में कुछ स्थानीय युवाओं ने आतंक की राह छोड़कर मुख्यधारा में वापस लौटने का फैसला किया था। इसके बाद ही गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से इस दिशा में कदम उठाने को कहा था। गृह मंत्रालय ने पुनर्वास नीति के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी के गठन की बात कही थी, जिसकी अध्यक्षता एडीजी या डीजी रैंक के अधिकारी को करने का सुझाव दिया गया था। इससे पहले जम्मू कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार द्वारा साल 2017 में पत्थरबाजों पर लगे मुकदमों की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन कर चुकी है। इस कमेटी के गठन के बाद से अभी तक कई हजार युवाओं पर लगे पत्थरबाजी के मुकदमें वापस हो चुके हैं।

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