राज्यसभा चुनाव 2018: नए सांसदों को शपथ लेने से पहले करने पड़ते हैं ये काम
23 मार्च को संसद के उच्च सदन राज्यसभा को 58 नये सदस्य मिलेंगे है। इनमें से 33 सदस्य निर्विरोध चुने जा चुके हैं, जबकि 26 के लिए चुनाव होना है। राज्य सभा चुनाव में जीतने/नामित होने के बाद सदस्यों को कई संवैधानिक प्रक्रियाएं पूरी करनी पड़ती है। इसके बाद ही ये सदस्य राज्यसभा के सांसद के रूप में शपथ लेते हैं। चुनाव जीतकर अथवा नॉमिनेट होकर राज्य सभा पहुंचे सदस्यों को सबसे पहले संसद के नोटिस ऑफिस में आना पड़ता है। नोटिस ऑफिस को सदस्यों का स्वागत कक्ष भी कहा जा सकता है। यहां पर उन्हें कई औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती है और कुछ फॉर्म भरने पड़ते हैं। इस दफ्तर से राज्यसभा सदस्यों को विजिटर्स गैलरी पास, सेंट्रल हॉल पास, पार्किंग लेबल मिलते हैं।
इस कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद सदस्य को संसद भवन के टेबल ऑफिल में जाना पड़ता है। यहां पर सदस्य को अपने चयनित या नामांकित होने से जुड़ा प्रमाण पत्र जमा करना पड़ता है। इसके अलावा सदस्य को संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत फॉर्म 3 को भरना पड़ता है। संविधान की दसवीं अनुसूची दल-बदल विरोधी कानून से जुड़ी है। इस प्रक्रिया के दौरान चयनित सदस्य यह भी बता सकता है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित किस भाषा में शपथ लेना चाहता है। इस वक्त संविधान की आठवीं अनुसूची में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं का उल्लेख है। बता दें कि एक सदस्य को सदन/कमेटी की कार्यवाही में बैठने, वोट देने का तबतक अधिकार नहीं है जब तक कि वह शपथ नहीं ले लेता है।
इस संवैधानिक प्रक्रिया के दौरान सदस्य को यह भी विकल्प दिया जाता है कि क्या वह संसदीय दस्तावेजों में अपने नाम का स्टाइल बदलना चाहते हैं। इसी के मुताबिक उन्हें कुछ फॉर्म भरने दिये जाते हैं। इन प्रक्रियाओं को पूरा करने बाद ही राज्यसभा के सदस्य शपथ लेते हैं।यदि राज्यसभा के नये सदस्य को दिल्ली में रहने के लिए आवास की आवश्यकता है तो वह राज्यसभा सचिवालय को इसके लिए आवेदन दे सकता है। इसके बाद राज्यसभा के सचिवालय द्वारा संबंधित राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दिल्ली स्थित राज्य भवन/गेस्ट हाउस में सदस्य के लिए रहने की व्यवस्था करवाई जाती है। शपथग्रहण के 90 दिन के बाद राज्यसभा के सभी चयनित सदस्यों को अपनी और अपने पति/पत्नी और आश्रित बच्चों के संपत्ति और दायित्वों की जानकारी सदन को देनी पड़ती है। राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने के दौरान सभी उम्मीदवार अपने और अपने पति/पत्नी और आश्रित बच्चों के संपत्ति की जानकारी चुनाव आयोग को देते हैं।