तस्लीमा नसरीन ने की भारत की जमकर तारीफ, पढ़ें हिंदुत्व पर क्या बोलीं बांग्लादेशी राइटर
भारत में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहीं बांग्लादेश की जानीमानी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भारत की जमकर तारीफ की है। ‘एशियन एज’ को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि भारत उन्हें अपने घर (बांग्लादेश) जैसा लगता है। उन्होंने हिंदुत्व पर भी अपनी राय रखी। तस्लीमा ने कहा, ‘मैंने पाया कि भारतीय लोग बांग्लादेश, इराक या सऊदी अरब की तुलना में ज्यादा धार्मिक और अंधविश्वासी होते हैं। ऐसे में इन देशों में ज्यादातर लोगों में नास्तिक होने की प्रवृत्ति ज्यादा पाई जाती है। लेकिन, हिंदुत्व में ज्यादा विकल्प मौजूद होने के कारण लोगों को नास्तिक होने की जरूरत नहीं पड़ती है। भारत में ऐसे लोगों की तादाद बहुत कम है। लेकिन, हिंदुत्व में कट्टरपंथ बढ़ा है।’ तस्लीमा नसरीन ने कहा कि भारत में उनके पास घर नहीं है, लेकिन वह यहां अपने घर जैसा महसूस करती हैं। उन्होंने बताया कि यही वजह है कि वह भारत में यूरोप की तुलना में लेखन कार्य ज्यादा कर पाती हैं। तस्लीमा ने कहा, ‘मैं इस क्षेत्र की महिलाओं के बारे में लिख पाती हूं क्योंकि उनकी संस्कृति, इतिहास और कहानी एक समान है। उन्हें जिस दमन और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है वह तकरीबन समान है। मुझे पाठकों की प्रतिक्रियाएं भी मिलती हैं जो किसी लेखक के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि भारत में मेरा रहना महत्वपूर्ण है।’
बांग्लादेश लेखिका ने भारत और यूरोप की तुलना भी की। उन्होंने कहा, ‘मैं जब यूरोप में रहती थी तो मैं अपना घर या देश समझकर अक्सर कोलकाता आया करती थी। हालांकि, मैं विभाजन के बाद पैदा हुई थी, लेकिन मेरी समझ में धर्म के आधार पर देश का बंटवारा बचपना था। सबकुछ समान है। भाषा और संस्कृति एक होने के कारण दोनों देशों (भारत और बांग्लादेश) की राजनीति भी एक तरह की है। किताबें वहां भी प्रतिबंधित हैं और यहां भी। मुझे बांग्लादेश में भी धमकियां दी जाती थीं और यहां (भारत) भी दी जाती हैं।’
तस्लीमा ने हिंदू और मुस्लिम समुदाय पर भी बेबाकी से अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, ‘भारत में मुस्लिम समुदाय अल्पसंख्यक है, लेकिन बांग्लादेश में यह समुदाय बहुसंख्यक है। भारत में हिंदू और मुस्लिम समुदायों में धर्मांध मिल जाएंगे। इसके बावजूद लोकतंत्र की जड़ें गहरी होने के कारण भारत ज्यादा सुरक्षित है। यहां कट्टरपंथियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती है। इसके अलावा यहां उचित संतुलन भी बनाकर रखा जाता है। लिहाजा, मैं यहां खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हूं। आजकल मैं यूरोप को भी सुरक्षित महसूस नहीं करती हूं। आज का यूरोप 90 के दशक के यूरोप जितना सुरक्षित नहीं है। हालांकि, भारत यूरोप जितना सुरक्षित नहीं है, लेकिन बांग्लादेश से बेहतर है।’