RBI के पूर्व गवर्नर बोले- लगातार कम हो रही नौकरियां, राजनीति के कारण तकनीक अपनाने की रफ्तार धीमी
RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नौकरियों के लगातार कम होते अवसरों पर चिंता जताई है। कोच्चि में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि नियमित और अनस्किल्ड जॉब्स में लगातार कमी आ रही है। स्किल्ड जॉब के स्वरूप में भी बदलाव आ रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में फायनेंस के प्रोफेसर राजन ने डिजिटल वर्ल्ड को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) और रोबोट के कारण नौकरियों के मौजूदा तौर-तरीकों में बदलाव आएगा। एआई के कारण उच्च कौशल वाली नौकरियों पर खतरा है। मानवीय संवेदना, उच्च स्तर के ज्ञान और दरबान जैसी नौकरियां ही बचेंगी जहां इंसान एक इंसान की मदद चाहता है।’ राजन ने कहा, ‘भारत में पश्चिमी देशों की तरह नौकरियां नहीं हैं, जिनके जाने का खतरा है। हमारे पास नौकरियां हैं ही नहीं जिसे गंवाया जाए। पहले तो हमें नौकरियां लानी होंगी।’ रघुराम राजन ने कहा कि भारत में राजनीति के कारण तकनीक अपनाने की प्रक्रिया बहुत धीमी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि तकनीकी सुविधा होने के बावजूद सरकार अभी भी फाइलों के जरिये ही अपना काम करती है।
रघुराम राजन ने बताया कि भविष्य में चालक रहित कार एक वास्तविकता होगी। इसके अलावा मेडिकल क्षेत्र में भी तकनीकी हस्तक्षेप बढ़ेगा। हालांकि, उन्होंने माना कि रोबोट के बजाय इंसानों को तैनात करना अपेक्षाकृत सस्ता होगा। इससे पहले राजन ने रोजगार के नए अवसरों के सृजन को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि 7.5 फीसद की वृद्धि दर से रोजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया नहीं कराए जा सकते हैं। भारत में सालाना तकरीबन सवा करोड़ लोग रोजगार पाने की श्रेणी में शमिल हो रहे हैं, लेकिन उनके लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर मौजूद नहीं हैं। आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कम से कम 10 फीसद तक की वृद्धि दर हासिल करने की बात कही थी। बता दें कि इससे पहले नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने भारत में रोजगार की स्थिति पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर उचित ध्यान देने पर ही रोजगार के पर्याप्त अवसर सृजित किए जा सकते हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में भी निवेश बढ़ाने की बात कही थी। बता दें कि रोजगार के कम होते अवसरों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निशाने पर हैं। सरकार ने इसके लिए कई उपाय करने का दावा किया है।