इस गांव में रहते हैं सिर्फ हिन्दू , बाहर लगा है भगवा बोर्ड – दूसरे धर्म वालों का प्रचार सख्त मना है
आंध्र प्रदेश के कड़पा जिले में स्थित ‘हिन्दू गांव’ केसलिंगयापल्ले अपने खास स्टेट्स के लिए जाना जाता है। इस गांव ने बतौर ‘हिन्दू गांव’ अपने वजूद का एक साल पूरा कर लिया है। पिछले साल रामनवमी के मौके पर गांव के लोगों ने इसे सिर्फ हिन्दुओं का गांव घोषित कर दिया था और गांव के प्रवेश द्वार पर एक भगवा बोर्ड लगा दिया था। इस बोर्ड में लिखा है कि इस गांव में सिर्फ हिन्दू रहते हैं, यहां पर दूसरे धर्म के लोगों द्वारा अपने मत का प्रचार करना मना है। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस बोर्ड पर लिखा है, “इस गांव में सिर्फ हिन्दू रहते हैं, इसलिए दूसरे धर्म के किसी भी शख्स के द्वारा इस गांव में अपने धर्म का प्रचार या प्रसार सख्त प्रतिबंधित है, यदि इस प्रथा को कोई तोड़ता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की जाएगी- केसलिंगयापल्ले गांव के निवासी।” इस बोर्ड में दोनों तरफ जय श्री राम लिखा हुआ है, साथ ही एक संदेश भी है जिसमें लिखा है, “यदि एक शख्स दूसरे धर्म में चला जता है तो यह अपनी मां को बदलने के जैसा ही है।”
इस गांव की आबादी लगभग 1500 है। गांव में सिर्फ हिन्दू रहते हैं, इनमें कापू, अनुसूचित जाति और ओबीसी शामिल है। गांव के एक बुजुर्ग बी रमना ने कहा कि यहां पर पहले क्रिश्चयन मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन करवाया जाता था, जिसके बाद गांव के लोगों ने इस गांव को केवल हिन्दुओं का घोषित कर दिया और दूसरे धर्म के लोगों को यहां आने से रोक दिया। बी रमना ने कहा कि जो लोग क्रिश्चयन बन चुके थे उनकी घर वापसी भी करवाई गई। रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में आरएसएस की अच्छी खासी पैठ है। स्थानीय भाषा के एक पत्रकार चंद्र रेड्डी ने कहा कि मयदुकुर और ब्राह्मणगरी मठ के इलाकों में आरएसएस की मजबूत पकड़ है, और संघ के लोग ही ऐसा कर रहे हैं। इस शख्स के मुताबिक केसलिंगयापल्ले गांव में भी संघ की शाखा लगती है। लेकिन आरएसएस के स्थानीय कार्यकर्ता गोपाल रेड्डी ने कहा कि इसमें आरएसएस का कोई हाथ नहीं है और बोर्ड लगाने का फैसला गांव वालों का था।
वहीं सरकारी अधिकारियों ने गांव वालों के इस फैसले से अनभिज्ञता जताई। एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक मयदुकुर के तहसीलदार ए नागेश्वर राव ने कहा कि गांव में इस तरह के बोर्ड के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। अधिकारी ने कहा है कि न ही इस बावत उन्हें किसी के द्वारा शिकायत मिली है।