रामनवमी 2018 व्रत कथा: जानिए भगवान राम की वह कथा जिसमें एक गरीब बुढ़िया बन गई अमीर
भगवान राम के जन्मदिन के मौके पर देशभर में रामनवमी मनाई जाती है। इस साल रामनवमी का पर्व 25 मार्च को मनाया जा रहा है। कहा जाता है इस दिन विष्णु भगवान ने भगवान राम के रूप में अवतार लिया था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। माना जाता है इस दिन तुलसीदास जी नेरामचरित मानसे की रचना का आरंभ किया। शास्त्रों के अनुसार जो भी राम नवमी का व्रत करता है वह व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
रामनवमी व्रत की कथा: एक बार राम, सीता और लक्ष्मण वनवास पर जंगल में घूम रहे थे। तीनों घूमते-घूमते काफी थक गए। भगवान राम ने थोड़ा विश्राम करने का विचार किया। वहीं पास में उन्हें एक बुढ़िया की कुटिया दिखाई थी। राम, सीता और लक्ष्मण उस बुढ़िया के पास पंहुच गये। बुढ़िया उस समय सूत कात रही थी।बुढ़िया ने उनकी आवभगत की और उन्हें स्नान ध्यान करने के बाद भोजन करने का आग्रह किया इस पर भगवान राम ने कहा माई मेरा हंस भी भूखा है, पहले इसके लिये दो मोती दे दो। ताकि इसके बाद मैं मैं भी भोजन कर सकूं। इस बात को सुनकर बुढ़िया मुश्किल में पड़ गई। इसके बाद वह बुढ़िया वह दौड़ी-दौड़ी राजा के पास गई और उनसे उधार में मोती देने की बात कही लेकिन राजा को मालूम था कि बुढ़िया की हैसियत नहीं है कि वह दो मोती वापस लौटा सके लेकिन राजा ने बढ़िया पर तरस खाकर मोती दे दिए। बुढ़िया ने हंस को मोती खिला दिया, जिसके बाद भगवान राम ने भोजन किया।
कुटिया से जाते समय भगवान राम ने बुढ़िया के आंगन में एक मोतियों का पेड़ लगा गए। कुछ समय बाद पेड़ बड़ा हुआ और मोती लगने लगे लेकिन बुढ़िया को इसकी सुध नहीं थी। जो भी मोती गिरते पड़ोसी उठाकर ले जाते। एक दिन बुढिया पेड़ के नीचे बैठी सूत कात रही थी की पेड़ से मोती गिरने लगे बुढ़िया उन्हें समेटकर राजा के पास ले गई। राजा हैरान कि बुढ़िया के पास इतने मोती कहां से आये बुढ़िया ने बता दिया की उसके आंगन में पेड़ है, जिसके बाद राजा ने वह पेड़ ही अपने आंगन में मंगवा लिया लेकिन भगवान की माया उस पेड़ पर कांटे उगने लगे। एक दिन उस पेड़ का एक कांटा रानी के पैर में चुभा गया, जिसके बाद राजा ने दोबारा वह पेड़ बुढ़िया के आंगन में लगवा दिया और पेड़ पर पहले की तरह मोती लगने लगे जिन्हें बुढ़िया प्रभु के प्रसाद रुप में बांटने लगी।