बीजेपी सांसद के एनजीओ ने दिया अवार्ड का ऑफर, आईपीएस ने कहा-मुझे नहीं चाहिए

कर्नाटक की चर्चित आईपीएस डी रूपा ने गैर सरकारी संस्था(एनजीओ) से अवार्ड लेने से इन्कार कर दिया। वजह कि अवार्ड के साथ मोटी धनराशि भी उन्हें मिल रही थी बतौर रिवार्ड। जिस पर उन्हें नम्मा बेंगलुरु फाउंडेशन नामक एनजीओ को पत्र लिखकर अवार्ड लेने में असमर्थता जताई। आईपीएस ने रूपा ने अपने पत्र में लिखा कि उनका जमीर इस इनाम को स्वीकार करने की इजाजत नहीं देता। इस एनजीओ के फाइनेंसर बीजेपी के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर बताए जाते हैं।

संबंधित गैर सरकारी संगठन ने अपने क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले आठ सरकारी अफसरों को अवॉर्ड के लिए चुना था। सभी को विभिन्न वर्ग में बेंगुलुरु नुम्मा अवार्ड्स दिया जाना था। मगर जैसे ही आईपीएस डी रूपा को पता चला कि इस अवॉर्ड के साथ कैश रिवॉर्ड भी मिलना है तो उन्होंने इन्कार कर दिया। रूपा को सरकारी अधिकारी वर्ग में पुरस्कार के लिए चुना गया था। अवार्ड सेरेमनी में मौजूद न हो पाने की अपनी मजबूरी स्पष्ट करते हुए आईपीएस डी रूपा ने संस्था को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकारी स्टाफ से निष्पक्ष रहने की उम्मीद होती है। जिन संस्थाओं का राजनीतिक कनेक्शन हो, उनसे अफसरों को दूर रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि चुनावों के मद्देनजर अफसरों की निष्पक्षता और जरूरी है। जनता के बीच अफसर की किसी संगठन या पार्टी से नजदीकी कभी नहीं झलकनी नहीं चाहिए। बता दें कि बेंगुलुरु सेंट्रल जेल में अन्नाद्रुमुक नेता और जयललिता की करीबी शशिकला को मिल रही वीआईपी ट्रीटमेंट सुविधा का डी रूपा ने खुलासा किया था। इस पर अपने सीनियर अफसर से भी नाराजगी जताने के कारण उन्हें जेल विभाग में डिप्टी आईजी के पद से ट्रैफिक और रोड सेफ्टी विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था। जिसके बाद से वे सुर्खियों में आई थी।

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