दोषी भी और विपक्ष के प्रमुख नेता भी: कैसे दोहरी जिंदगी जी रहे हैं लालू प्रसाद यादव
आरजेडी प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के 4 मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है और इस वक्त वह जेल में बंद हैं। शनिवार को रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू को चारा घोटाले के चौथे दुमका कोषागार मामले में 14 साल की सजा सुनाई है। भले ही आरजेडी प्रमुख इस वक्त रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं और सजा काट रहे हैं, लेकिन फिर भी वह समय-समय पर फोन करके पार्टी के कार्यकर्ताओं की क्लास लेते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक सूत्रों के हवाले से यह खबर आई है कि लालू से जेल में मिलने जाने वाले लोगों की संख्या भी काफी बढ़ गई है। पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों से विशेषकर उपचुनाव के नतीजे आने के बाद से ही बहुत से लोग लालू से मिलने जेल जा रहे हैं। आपको बता दें कि बिहार में हुए उपचुनावों में आरजेडी ने शानदार जीत हासिल की थी। पार्टी जहानाबाद विधानसभा सीट और अररिया लोकसभा सीट जीतने में कामयाब रही थी।
बीजेपी को रोकने के उद्देश्य से लालू प्रसाद यादव द्वारा विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश किए जाने की खबर पिछले कई दिनों से आ रही थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी सिलसिले में हाल ही में समाजवादी पार्टी के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने लालू से मुलाकात भी की। नंदा ने आरजेडी प्रमुख को सपा और बसपा के सामंजस्य की खबर विस्तार से बताई। उन्होंने बताया कि किस तरह दोनों पार्टियों के मेल से फूलपुर और गोरखपुर में बीजेपी उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा। आरजेडी के एक नेता ने जानकारी दी कि नंदा को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2019 लोकसभा चुनाव में विपक्ष को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करने के मकसद से लालू से मिलने भेजा था।
सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा लालू को 14 साल की सजा सुनाए जाने पर आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज के झा ने कहा कि वह इस मामले को उच्च अदालत तक लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि विपक्ष में जो सकारात्मक हलचल होती दिख रही है वह लालू प्रसाद यादव की कोशिशों का ही नतीजा है।’ आपको बता दें कि भले ही लालू इस वक्त जेल में बंद हैं, लेकिन राज्यसभा चुनाव में भी उनकी स्वीकृति के बाद ही उम्मीदवार का चयन किया गया था। पार्टी के एक कार्यकर्ता का कहना है, ‘लालू जी पार्टी के अध्यक्ष हैं और पार्टी के सभी मुख्य फैसले उनकी स्वीकृति के बाद ही लिए जाते हैं।’