अंतरिक्ष में भटक गया भारत का सबसे ताकतवर कम्युनिकेशन सैटलाइट जिसे 48 घंटे पहले ही लॉन्च किया गया था
देश की सेना और वैज्ञानिकों को जबरदस्त झटका लगा है। सेना का सबसे मजबूत कम्यूनिकेश सैटेलाइट अंतरिक्ष यान में कहीं खो गया है। भारतीय रिसर्च अनुसंधान केंद्र (इसरो) का संपर्क GSAT-6A से टूट गया। गंभीर बात यह है कि इस सैटेलाइट को लॉन्च करने के बाद 48 घंटों के अंदर ही इससे संपर्क टूट गया।आपको बता दें कि GSAT-6A सैटेलाइट के बारे में आखिरी बार शुक्रवार (30 मार्च) सुबह 9:22 बजे आधिकारिक बयान जारी किया गया था। बताया जा रहा है कि लॉन्चिंग के बाद जीसैट-6A में कुछ तकनीकी खराबी आ गई थी जिसकी वजह से वैज्ञानिकों का फिलहाल इससे संपर्क नहीं हो पा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सैटेलाइट का LAM (liquod apogee motor) इंजन शुरू में सही तरीके से काम कर रहा था। इतना ही नहीं सैटेलाइट का पहली कक्षा (orbit) में प्रवेश भी सफल रहा था। दूसरी कक्षा में प्रवेश के लिए वैज्ञानिकों ने शनिवार को 10.51 मिनट का समय निर्धारित किया था। बताया जा रहा है कि यह ऑपरेशन भी सफल रहा। दूसरी कक्षा में प्रवेश के करीब 4 मिनट तक इससे डाटा उपलब्ध हो रहा था लेकिन इसके बाद यह पूरी तरह से गायब हो गाय। शुरुआती तौर पर यह कहा जा रहा है कि अचानक बिजली जाने की वजह से इससे संपर्क टूट गया है। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
इसरो की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सफलतापूर्वक काफी देर तक फायरिंग के बाद जब सैटेलाइट तीसरे और अंतिम चरण के तहत 1 अप्रैल 2018 को सामान्य ऑपरेटिंग की प्रक्रिया में था, इससे हमारा संपर्क टूट गया। सैटेलाइट GSAT-6A से दोबारा संपर्क स्थापित करने की लगातार कोशिश की जा रही है। सैटेलाइट को लेकर आखिरी बुलेटिन 30 मार्च की सुबह 9.22 बजे जारी किया गया था
आपको बता दें कि जीसैट-6ए एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है और इसको तैयार करने में 270 करोड़ रुपए का खर्च आया है। इसका मुख्य तौर पर इस्तेमाल भारतीय सेना के लिए किया जाना है। यह सैटेलाइट बेहद सुदूर क्षेत्रों में भी मोबाइल संचार में मदद करेगी। इससे पहले 31 अगस्त 2017 में भी पीएसएलवी से IRNSS 1H उपग्रह की लॉन्चिंग असफल हो गई थी।
जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद इसरो के चेयरमैन के. सिवान का ये पहला प्रोजेक्ट था। उन्होंने ही सेटेलाइट के अपनी कक्षा में स्थापित हो जाने की घोषणा की। ये सेटेलाइट वर्ष 2015 में लांच किए गए जीसेट-6 के साथ मिलकर एडवांस तकनीक के विकास के लिए प्लेटफार्म साबित होगा।