चार साल की कानूनी प्रक्रिया बाद देहरादून के मोमिता हत्याकांड में हत्यारे को मिली फांसी तथा तीन अन्य को आजीवन कारावास

लगभग 4 साल लंबी क़ानूनी प्रक्रिया के बाद देहरादून के चकराता पर्यटक क्षेत्र में दिल्ली से घूमने आए फाइन आर्ट टीचर मोमिता दास और अभिजीत के चर्चित दोहरे हत्याकांड में चार साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया बाद फैसला आ गया है. इस जघन्य हत्याकांड में मुख्य दोषी ड्राइवर राजुदास को डबल मर्डर का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है. जबकि इस कांड में शामिल तीन अन्य दोषियों को अपर जिला सत्र न्यायाधीश ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

वहीं इस मामलें में दोषियों की पैरवी करने वाले अधिवक्ता संजय भट्ट का कहना की दोषियों के खिलाफ ग्राउंड लेबल पर कोई साक्ष्य नहीं थे. सभी कुछ मीडिया और पुलिस ट्रायल के आधार पर तय किया गया है. ऐसे में वो कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. इसके चलते वो अपने मुवक्किलों के लिए उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.

2014 के इस जघन्य दोहरे हत्याकांड में चार लोगों को दोषी करार देने के बाद शुक्रवार देहरादून के विकासनगर के सिविल न्यायालय ADJ मोहम्मद सुल्तान की कोर्ट में सजा की आखिरी बहस के लिए पेश किया गया. यहां सबसे पहले दोषियों के वकील संजय भट्ट ने न्यायधीश मोहम्मद सुल्तान के समक्ष क़ानूनी तर्क देते हए कहा की इस हत्याकांड में  ग्राउंड लेबल पर अभी तक कोई भी साक्ष्य साबित नहीं हुआ है. सिर्फ इस घटनाक्रम में मीडिया ट्रायल और पुलिस ट्रायल के आधार पर सब कुछ देखा गया है. ऐसे में सजा देने पर विचार किया जाए.

वहीं इसके बाद पीड़ित पक्ष के वकील जी बी रतूड़ी ने सजा पर अपना पक्ष रखते हुए जज के सामने 1980 में सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ द्वारा दिए के फैसले का तर्क दिया. उन्होंने कहा कि जब किसी मृतक की मौत से पहले किसी भी हत्यारों से कोई दुश्मनी या रंजिश नहीं होती है. उसके बाद भी अपने निजी फायदे के लिए हत्यारें बेकसूर को बेरहमी से मार डालते है. तो ऐसे में उनको जघन्य अपराध का दोषी मानते हुए फांसी दी जाए. अभियोजन पक्ष वकील रतूड़ी ने कहा इस केस में भी दोनों मृतक की दोषियों से कोई रंजिश या दुश्मनी नहीं थी. इसके बावजूद उनको बेरहमी से मार दिया गया.

मामला 13 अक्टूबर 2014 का है. दिल्ली में रहने वाले फाइन आर्ट टीचर मोमिता दास अपने दोस्त अभिजीत पॉल के साथ देहरादून के चकराता में घूमने आई थी. पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता के अनुसार मोमिता और अभिजीत ने चकराता घूमने के लिए बस स्टेंड से राजुदास नाम के व्यक्ति की बोलेरो गाडी बुक कराई थी. इसके बाद राजू ड्राइवर उन्हें लाखामंडल घुमाने ले गया. रास्ते से राजू ने अपने तीन दोस्तों को भी अपने गाड़ी में बैठा लिया. इसको लेकर मोमिता ने जब एतराज जताया तो वह सभी मारपीट करने लगे. इस बीच झगड़ा इतना बढ़ा की उन्होंने अभिजीत का रस्सी से गला घोटकर उसकी हत्या कर दी.

इसके बाद सभी आरोपियों ने मोमिता के साथ दुष्कर्म कर उसकी भी हत्या दी. इसके बाद दोनों के शव को अलग- अलग पहाड़ी क्षेत्र में फेंक दिया. इतना ही नहीं आरोपियों ने मृतकों के सभी पर्स, मोबाईल सहित कीमती समान को अपने कब्जे रख लिया. उत्तरकाशी और चकराता दो जगह पर लाश मिली थी. कातिलों ने दोनों को मार कर अलग अलग जगह पर फेंक दिया था.

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