कांग्रेस के राज्‍यसभा सांसद अहमद पटेल को बीजेपी सरकार ने बनाया गुजरात वक्‍फ बोर्ड का सदस्‍य

गुजरात की भाजपा सरकार ने तमाम राजनीतिक विवादों को भुलाते हुए अहमद पटेल को गुजरात वक्फ बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया है। बोर्ड में अहमद पटेल समेत कुल 10 सदस्यों को शामिल किया गया है। अहमद पटेल को लेकर तल्खी के बावजूद उनको वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाने का राज्य सरकार का फैसला चौंकाने वाला है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को पिछले साल राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। चुनाव आयोग के हस्तक्षेप के बाद कांग्रेस नेता को विजयी घोषित किया गया था। गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने थी। बता दें कि राज्य में हमेशा ही दोनों दलों के बीच सीधा मुकाबला रहता है। इसके अलावा वांकानेर से कांग्रेस विधायक मोहम्म्द जावेद पीरजादा को भी बोर्ड में जगह दी गई है। इन दोनों कांग्रेस नेता के अलावा सज्जाद हीरा, अफजल खान पठान, अमाद भाई जाट, रुकैया गुलाम हुसैनवाला, बद्रउद्दीन हलानी, मिर्जा साजिद हुसैन, सिराज भाई मकडिया और असमां खान पठान शामिल हैं।

राज्यसभा चुनाव में बढ़ी थी तल्खी: पिछले साल गुजारत में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव हुआ था। अहमद पटेल भी चुनाव मैदान में थे। भाजपा यह सीट हार हाल में जीतना चाहती थी। इसके लिए जीतोड़ कोशिश की गई थी। क्रॉस वोटिंग के चलते पटेल की मुश्किलें काफी बढ़ गई थीं। चुनाव को लेकर विवाद इतना बढ़ गया था कि दोनों दलों के शीर्ष नेताओं ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। अंत में आयोग का फैसला कांग्रेस के पक्ष में रहा था। चुनाव आयोग ने दो वोट को अमान्य करार दिया था, ऐसे में वोटों की गिनती 176 के बजाय विधानसभा के 174 सदस्यों के आधार पर किया गया था। इस तरह एक समय सीट गंवाते दिख रहे अहमद पटेल किसी तरह राज्यसभा पहुंचने में कामयाब रहे थे। भाजपा प्रत्याशी बलवंत सिंह चुनाव हार गए थे। विधानसभा चुनावों के दौरान भी भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था। दोनों दलों के बीच तीखी बयानबाजी भी हुई थी। इसके बावजूद वक्फ बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति के दौरान भाजपा ने सभी मतभेद भुलाकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता समेत एक विधायक को भी बोर्ड में स्थान दी है। बता दें कि विधानसभा चुनावों के दौरान वर्षों से राज्य की सत्ता में आने की बाट जो रही कांग्रेस को सफलता नहीं मिली थी। भाजपा ने जीत हासिल की थी। हालांकि, सत्तारूढ़ पार्टी की सीटों में कमी आई थी।

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