शीला दीक्षित की मानहानि के मामले में केजरीवाल को राहत नहीं, अदालत का अंतरिम रोक लगाने से इनकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शीला दीक्षित के पूर्व सहयोगी पवन खेड़ा की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मुकदमे की सुनवाई पर अंतरिम स्थगनादेश देने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति ए.के. पाठक ने ऐसे मामलों का निपटारा एक साल के भीतर करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में अंतरिम स्थगनादेश देने से मना कर दिया।
हालांकि, अदालत ने इस संबंध में राज्य और शिकायतकर्ता पवन खेड़ा को केजरीवाल की अर्जी पर नोटिस जारी किया है। केजरीवाल ने अपनी अर्जी में कहा है कि शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि प्रभावित शख्स निचली अदालत नहीं गए थे। अक्तूबर 2012 में बिजली दरों में वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान दीक्षित पर केजरीवाल की कथित टिप्पणियों को लेकर मानहानि का मुकदमा दायर किया गया है।
खेड़ा ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया है कि केजरीवाल ने एक टीवी शो के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया। केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने कहा कि पहली नजर में शिकायत अवैध है और निचली अदालत में चल रही सुनवाई को स्थगित करने का अनुरोध किया।
अदालत ने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देशों के आलोक में इस स्तर पर कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय की है।