इस एक्‍सपर्ट की रिपोर्ट ने सलमान खान को पहुंचाया सलाखों के पीछे, हुई 5 साल की जेल

बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान को ‘काला हिरण शिकार’ मामले में 5 साल की सजा सुनाई गई है। फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान ये मामला सामने आया था। इस मामले में सलमान के अलावा एक्ट्रेस तब्बू, एक्टर सैफ अली खान, सोनाली बेंद्रे और नीलम का नाम भी शामिल था। काला हिरण केस में बाकी एक्टर्स को तो बरी कर दिया गया, लेकिन सलमान को मामले में दोषी पाया गया। इस केस में हैदराबाद के डीएनए फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट्स द्वारा काले हिरण का वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक टेस्ट कंडक्ट करवाया गया था। काला हिरण शिकार मामले में CDFD यानी Centre for DNA fingerprinting and Diagnostics ने सलमान के खिलाफ कई सबूत खोज निकाले और उन्हें सलाखों के पीछे धकेल दिया।

केस में CDFD के साइंटिस्ट जीवी राव ने सलमान के खिलाफ सबूतों को पेश किया था। इसके बाद सलमान खान पर काले हिरण केस में फैसला लिया गया। सलमान खान को 5 साल की कैद की सजा सुनाई गई। राव ने साल 2015 के दिसंबर महीने में कोर्ट के सामने भी केस से जुड़े कुछ प्वाइंट्स रखे थे। उस वक्त वह CDFD में DNA फिंगर प्रिंटिंग लैब के चीफ स्टाफ साइंटिस्ट थे। उनकी टीम ने साल 1999 में काले हिरण की जाति के बारे में भी खास जानकारी जुटाई थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार राव ने कहा, “अक्टूबर 1998 में इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर और असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्टऑफ जोधपुर, ललित के. बोरा ने मामले में सावधानी से पूरी इन्वेस्टिगेशन की थी। इस दौरान उन्होंने दफनाए जा चुके काले हिरण को खोदकर बाहर निकलवाकर इन्वेस्टिगेशन जारी रखी थी। उन्होंने काले हिरण की स्किन और हड्डियों का अच्छे से परीक्षण किया था। उस वक्त वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक की शुरुआत ही थी, तकनीक आज की तरह डेवलप नहीं हुई थी। सब कुछ नया बना था। इसके लिए बहुत जांच-परख कर हिरण की प्रजाति का पता लगाया गया।”

उन्होंने आगे कहा, “साल 2015 में हमने कोर्ट के समक्ष बताया कि किस तरह से हमने काले हिरण की प्रजाति के बारे में नए मेथड से पता लगाया। हमने इस दौरान कैसे टेस्ट किए और हिरण की असल प्रजाति के बारे में जाना। क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान भी हमें खुद को दोबारा साबित करना पड़ा। टेस्ट और रिजल्ट की ऑथेंटिसिटी के बारे में हमने सब कुछ बताया। मैं खुश हूं कि आखिरकार सलमान को अपराधी ठहराया गया।” बता दें, राव हैदराबाद के अलवल में रहते हैं। वह इस वक्त सिविल एक्टिविस्ट के रूप में सक्रिय हैं। वहीं, वह फोरेंसिक इन्वेस्टिगेशन के मामलों से भी जुड़े हैं। राव ने हैदराबाद जू में killing of tigress Sakhi मामले में भी अपना सहयोग दिया है।

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