सीएम योगी आदित्‍यनाथ को दलित मित्र अवार्ड देने का अंबेडकर महासभा ने किया ऐलान, शुरू हो गई बगावत

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। अंबेडकर महासभा ने गुरुवार (5 अप्रैल) को डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) के अवसर पर सीएम योगी को ‘दलित मित्र’ से नवाजने का फैसला किया था। अंबेडकर महासभा के अध्‍यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल ने खुद इसकी घोषणा की थी। अब महासभा के अध्‍यक्ष के खिलाफ संगठन के ही दो वरिष्‍ठ संस्‍थापक सदस्‍यों ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। हरीश चंद्र अैर एसआर. दारापुरी ने वार्षिक महासभा (एजीएम) बुलाने की मांग की है, ताकि लालजी प्रसाद के खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्रवाई की जा सके। दोनों सदस्‍यों का कहना है कि अंबेडकर महासभा के अध्‍यक्ष ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाते हुए यह घोषणा की है। इन दोनों सदस्‍यों का मानना है कि मौजूदा सरकार में दलितों के खिलाफ अत्‍याचार के मामले बढ़े हैं।

दारापुरी एक सेवानिवृत्‍त आईपीएस अधिकारी हैं। उन्‍होंने कहा कि मौजूदा समय में दलितों के खिलाफ अत्‍याचार के मामले बढ़े हैं, जिसको लेकर समुदाय में गुस्‍सा है। उन्‍होंने भीम सेना के प्रमुख चंद्रशेखर रावण का भी उदाहरण दिया जो फिलहाल रासुका के तहत जेल में बंद हैं। अंबेडकर महासभा के दूसरे असंतुष्‍ट सदस्‍य हरीश चंद्र सेवानिवृत्‍त आईएएस अधिकारी हैं। उन्‍होंने कहा कि इस तरह के सम्‍मान के गठन का निर्णय लेने से पहले महासभा के सदस्‍यों को विश्‍वास में नहीं लिया गया था। हरीश चंद्र ने कहा कि अंबेडकर महासभा का गठन अंबेडकर के विचारों और सिद्धांतों को फैलाने के लिए हुआ था, किसी की व्‍यक्तिगत हितों को पूरा करने के लिए नहीं। हरीश चंद्र ने बताया कि वर्ष 1990 में जब अंबेडकर महासभा का गठन किया गया था तो उस वक्‍त संगठन के सौ से ज्‍यादा सदस्‍य थे। अधिकांश सरकारी सेवा से जुड़े थे।

अंबेडकर महासभा के अध्‍यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल ने आरोपों को खारिज करते हुए फैसले का बचाव किया है। उन्‍होंने कहा कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को दलित मित्र का सम्‍मान देने में कुछ भी गलत नहीं है। सीएम उत्‍तर प्रदेश में रहने वाले हर व्‍यक्ति के मित्र हैं। ऐसे में वह दलितों के भी मित्र हैं। बता दें कि लालजी यूपी सचिवालय सेवा से सेवानिवृत्‍त अधकिारी हैं। उन्‍हें वर्ष 2013 में अंबेडकर महासभा का अध्‍यक्ष नियुक्‍त किया गया था। उन्‍होंने इन अरोपों को भी खारिज किया है कि व्‍यक्तिगत हितों को साधने के लिए मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को दलित मित्र का सम्‍मान देने का फैसला किया गया। बता दें दलितों के भारत बंद के दौरान उत्‍तर प्रदेश के कई इलाकों में व्‍यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *