आधार की मदद से एक मानसिक रूप से अस्वस्थ और लापता महिला फिर से मिल पाई अपने परिवार से

आधार कार्ड किस किस रूप में किसी इंसान की मदद कर सकता है इसका एक जीता जागता उदाहरण दिल्ली में देखने को मिला

आधार की मदद से ही आज एक महिला जो मानसिक रूप से अस्वस्थ थी, चार महीनें बाद फिर अपने परिवार से मिल पाई. मीडीया से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार ये महिला चार महीने पहले लापता हो गई थी. पुलिस को दिल्ली की सड़कों पर 31 वर्षीय एक महिला लावारिस हालत में मिली थी. अदालत ने महिला को निर्मल छाया आश्रय गृह भेजने और अधिकारियों को उसका आधार नामांकन करवाने का निर्देश दिया था. महिला का आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया के दौरान पता चला कि उसका बॉयोमेट्रिक रिकार्ड आधार डेटाबेस में पहले से मौजूद है जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) से उसका ब्यौरा हासिल किया.

निरतंत प्रयास तब रंग लाए जब पुलिस अधिकारियों ने महिला के बारे में जानकारी मिलने की सूचना मेट्रोपोलिट्रेन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा को दी. महिला के लापता होने के बारे में 30 नवंबर 2017 को राजस्थान के अलवर जिले के मलखेरा थाने में मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने महिला के पति से संपर्क किया और वह अपनी पत्नी को घर ले जाने के लिए सहर्ष तैयार हो गए.

हाल में सुनवाई के दौरान महिला को और उनके पति को अदालत में लाया गया. महिला को रोहिणी के आशा किरण आश्रय स्थल में रखा गया था. जांच अधिकारी ने कहा कि उन्होंने व्यक्ति की पहचान का सत्यापन किया है और महिला के अपने परिवार के साथ जाने में पुलिस को कोई आपत्ति नहीं है. मेजिस्ट्रेट ने बताया, ‘‘ आशा किरण में आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद मरीज को उनके पति को सौंप दिया गया. महिला के पति को उनका इलाज जारी रखने का निर्देश दिया गया है.

अदालत ने महिला को उसके परिवार से मिलवाने के लिए अथक प्रयास करने वाले कश्मीरी गेट पुलिस थाने के थाना प्रभारी देवेंद्र कुमार सिंह की भी प्रशंसा की. पुलिस को महिला फरवरी माह में कश्मीरी गेट के नजदीक मिली थी.

 

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