शहीद की मां को नौ साल बाद मिला पेंशन, रक्षा मंत्री ने दी जानकारी तो लोगों ने पूछा- देर क्‍यों हुई?

शहीद की मां को वर्षों के इंतजार के बाद आखिरकार पेंशन मिलना शुरू हो गया। इसके साथ ही बकाया राशि का भी भुगतान कर दिया गया है। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया, “नौ साल के इंतजार के बाद राइफलमैन रिंकू राम की मां श्रीमती कमला देवी को पेंशन का लाभ देने का मामला मेरे संज्ञान में 1 अप्रैल, 2018 को लाया गया था। अब इस बारे में सूचित किया जाता है कि कमला देवी को स्‍पेशल फैमिली पेंशन का लाभ देने को मंजूरी दे दी गई है। इसे 19 नवंबर, 2009 से प्रभावी माना जाएगा। कमला देवी के लिए 10 लाख रुपए की एकमुश्‍त राशि भी जारी कर दी गई है।” कमला देवी के बेटे रिंकू राम शहीद हो गए थे। प्रावधान के तहत उनके परिजनों को पेंशन का लाभ दिया जाना था, लेकिन विभिन्‍न वजहों से यह प्रक्रिया लगातार अटकती रही। आखिरकार, नौ साल के लंबे इंतजार के बाद रक्षा मंत्रालय ने कमला देवी का पेंशन चालू करने की जानकारी दी है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि इस मामले को उनके संज्ञान में 1 अप्रैल को ही लाया गया था।

शहीद के परिजनों के लिए पेंशन की सुविधा मुहैया कराने में लेट-लतीफी पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। लोगों ने पूछना शुरू कर दिया कि इसमें इतनी देरी क्‍यों हुई। सोनाली सिंह ने ट्वीट किया, “मैडम यह जानकार बहुत अच्‍छा लगा, लेकिन इसमें वक्‍त क्‍यों लगा और रक्षा मंत्री को खुद इसका निस्‍तारण क्‍यों करना पड़ा? शहीदों और उनके परिजनों को बाबू क्‍यों परेशान करते हैं? एक कृतज्ञ राष्‍ट्र इतना तो कर ही सकता है कि बिना अंतहीन संघर्ष के उनको उनका हक दे दे।” रमेश कुमार ने लिखा, “मैडम अभी सि‍र्फ 10 फीसद काम हुआ है…90 प्रतिशत अब भी लंबित है। संबंधित स्‍टाफ को अविलंब निलंबित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही एक कानून बनाया जाना चाहिए कि दो साल से ज्‍यादा की देरी पर संबंधित कर्मचारी को मंत्री के स्‍तर से स्‍थानांतरित कर दिया जाना चाहिए।” माया ने ट्वीट किया, “मैडम आप अपने मंत्रालय को ऐसे मामलों को तुरंत निपटाने के लिए कहें। समय-सीमा तय कर उसके अंदर ही ऐसे लंबित मामलों को निपटाया जाना चाहिए।” अंशुल अग्रवाल ने लिखा, “जवानों के परिजनों को बिना किसी समस्‍या और देरी के पेंशन की सुविधा मिले, इसके लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की जरूरत है।”

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