महिला जज ने साथी जज पर लगाया यौन उत्पीड़न का आरोप, सरकार प्रोन्नति को हरी झंडी देने के मूड में नहीं

मीडीया से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार  कर्नाटक हाई कोर्ट में जज की नियुक्ति के मसले पर सरकार और कोलीजियम के बीच गतिरोध नजर आ रहा है। जज पी कृष्ण भट्ट को प्रोन्नति देकर हाई कोर्ट कर्नाटक का जज बनाने के मुद्दे पर सरकार विचार करने के मूड में  नही है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र को लिखे पत्र में साफ कहा है कि जज भट्ट पर महिला जज की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच निष्पक्षता से करने की जरूरत है। रविशंकर के रुख से पता चलता है कि जांच पूरी होने तक सरकार भट्ट की प्रोन्नति को हरी झंडी देने के मूड में नहीं है। देश के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि पीड़िता को अपने आरोप को साबित करने के लिए पूरा मौका दिया जाना चाहिए। सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच चाहती है। रविशंकर प्रसाद ने पांच अप्रैल को यह पत्र चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा को लिखा है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश चेलमेश्वर ने बीते दिनों मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कोलीजियम में सरकार की दखलंदाजी का आरोप लगाया था। कहा था कि कार्यपालिका कोलीजियम की सिफारिश दबा कर बैठी है। उन्होंने दोबारा जांच के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे जाने पर सवाल उठाते हुए इसे गंभीर मामला करार दिया था। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से इस मुद्दे पर फुल कोर्ट में विचार किए जाने की बात कही थी।
बताया जाता है कि पीड़ित महिला जज ने पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। शिकायत के मुताबिक महिला जज को अपना पक्ष रखने के लिए मौका नहीं दिया गया। इन सब शिकायतों के आधार पर केंद्रीय कानून मंत्री ने निष्पक्ष जांच के लिए मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। उधर सुप्रीम कोर्ट की कोलीजियम की ओर से जस्टिस भट्ट को हाई कोर्ट में प्रोन्नत करने की दो बार सिफारिश हो चुकी है। मगर सरकार ने इसे हरी झंडी नहीं दी। जिस पर जस्टिस चेलमेश्वर ने इसे सरकार की दखलंदाजी करार दिया था।

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