पांच बातों से तय होता है क‍ि बैंक में आपकी जमा-न‍िकासी संद‍िग्‍ध लेनदेन के दायरे में तो नहीं

पिछले साल हुई नोटबंदी के बाद देशभर में लोगों ने बड़ी संख्या में अपने-अपने बैंक खातों में नकद रुपये जमा कराए। कुछ लोगों ने म्यूचुअल फंड और स्टॉक में भी निवेश किया। इस क्रम में कुछ अनअकाउंटेड फंड भी बैंक खातों में जमा किए गए। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की वार्षिक रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया गया है। बैंकों और अन्य संस्थाओं से रिजर्व बैंक को जो सूचना मिली है उसके मुताबिक साल 2016-17 में संदिग्ध लेन-देन की संख्या में करीब 6 गुणा की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। यह आंकड़ा पूरे वित्तीय वर्ष का है ना कि सिर्फ नोटबंदी के समय का।

बता दें कि संदिग्ध लेन-देन की सूचना बैंक या अन्य वित्तीय संस्थाएं सरकार की वित्तीय खुफिया एजेंसियों को देती हैं। अमूमन एक महीने में 10 लाख रुपये से ज्यादा का कैश ट्रांजैक्शन संदिग्ध लेन-देन के दायरे में आता है। इसके अलावा और भी कई तथ्य हैं, जिनके आधार पर वित्तीय संस्थाएं संदिग्ध लेन-देन का निर्धारण करती हैं। आप भी जान लीजिए उन पांच बड़ी बातों के बारे में जिनसे तय होता है कि आप द्वारा की गई जमा-निकासी कहीं संदिग्ध लेन-देन तो नहीं है।

बैंक ट्रांजैक्शन की मात्रा: अगर आपने सामान्यत: पूर्व में की जा रही जमा-निकासी की मात्रा से अधिक राशि खाते में जमा की है या फिर उसकी निकासी की है या जमा कर तुरंत निकासी की है तो इसकी रिपोर्टिंग संदिग्ध लेन-देन के रूप में हो सकती है। इसके अलावा बैंकों द्वारा तय रकम की मात्रा से ज्यादा आपने जमा-निकासी की है तो वह भी संदिग्ध लेन-देन माना जा सकता है।

बैंक अकाउंट के क्रिया-कलाप: बैंक खाते में आप अमूमन महीने में कितने क्रियाकलाप करते हैं यह मायने रखता है। अगर आपने किसी बंद पड़े खाते (डॉरमेट अकाउंट) में अचानक बड़ी धनराशि की जमा-निकासी करते हैं तो यह संदिग्ध लेन-देन माना जा सकता है। इसके अलावा आपके खाते के पिछले लेन-देन, ट्रांजैक्शन और असमान्य क्रियाकलाप भी इसकी जद में आते हैं। इसके अलावा घोषित व्यवसाय के अलावा किसी और तरीके से आपके खाते में अचानक अधिक धनराशि की जमा-निकासी भी संदिग्ध लेन-देन के दायरे में आ सकता है।

मल्टीपल अकाउंट: अगर एक ही खाताधारक, इंट्रोड्यूसर या अथॉराइज्ड सिग्नेटरी के पास कई बैंकों में कई अकाउंट (मल्टीपल अकाउंट) बिना किसी वाजिव कारण के है तो वह भी संदिग्ध लेन-देन के रडार पर आ सकता है। इसके अलावा मल्टीपल अकाउंट्स के बीच बिना किसी ठोस वजह के फंड ट्रांसफर भी संदिग्ध लेन-देन माना जा सकता है।

बैंकों में जमा-निकासी की प्रकृति: अगर आपने असामान्य या अनुचित जटिलता के साथ बैंकिंग कारोबार किया है या नकदी के साथ ड्राफ्ट या निगोशिएबल इन्सिट्रूमेन्टस की खरीदारी की है तो वह भी संदिग्ध लेन-देन हो सकता है। इसके साथ ही घोषित कारोबार के अलावा किसी दूसरे कारोबार या शख्स से किए गए असामान्य लेन-देन भी संदिग्ध लेन-देन के दायरे में आ सकता है।

खाताधारकों की पहचान: अगर बैंक खाता धारकों या अथॉराइज्ड सिग्नेटरीज ने गलत पहचान पत्र दिया है या नो योर कस्टमर्स (KYC) की औपचारिकता वांछित समय-सीमा में पूरी नहीं की है तो उस खाते से किया गया हर लेन-देन संदिग्ध हो सकता है। किसी स्थापित कारोबार या ब्रांड के नाम या मिलता-जुलता नाम से दूसरा खाता खोलना भी संदिग्ध लेन-देन के दायरे में आता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *