सृजन घोटाला: 75 बैंक खाते फ्रीज, बर्खास्‍त मह‍िला एडीएम से भी जुड़े म‍िले फर्जीवाड़े के तार

बिहार के भागलपुर में सैकड़ों करोड़ रुपए के सृजन फर्जीवाड़े में 75 से ज्यादा बैंक खातों के लेनदेन पर रोक लगाई जा चुकी है। जिनमें 30 बैंक खाते तो केवल सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड एनजीओ के ही है। पुलिस एसआईटी के काम की देखरेख करने वाले एक आला अधिकारी के मुताबिक सीबीआई इन खातों के लेनदेन की बारीकी से जांच कर रही है। इन्हीं खातों के जरिए सरकारी धन सृजन के खाते और वहां से रसूखदार, बिल्डर, शो-रूम मालिक, अधिकारियों और उनकी पत्नी के नाम हस्तांतरित हुए हैं। इनमें कुछ पत्रकारों के भी नाम है। जेल में बंद कल्याण महकमा के अधिकारी अरुण कुमार की पत्नी इंदु गुप्ता के भी खाते हैं। इनके बंधक बैंक वाले खाते में ही डेढ़ करोड़ रुपए है। जिसे फ्रिज किया गया है।

मालूम रहे कि अरुण कुमार की गिरफ्तारी के पहले ही इंदु गुप्ता अपने खाते से 8 लाख रुपए और एक करोड़ से ज्यादा के सोने चांदी हीरे के गहने लेकर फरार हो गई थी। जिसका सुराग नहीं मिला है। ऐसा पुलिस के आलाधिकारी ने बताया।

इधर सीबीआई की टीम अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए भूअर्जन और जिला परिषद दफ्तर गई। वहां भूअर्जन के अधिकारी जितेंद्र प्रसाद साह, एडीएम हरिशंकर प्रसाद, एडीएम श्यामल किशोर पाठक और नजारत शाखा के प्रभारी दीवान जफर हुसैन खान, सिविल सर्जन डा. विजय कुमार से पूछताछ की है। साथ ही भागलपुर ज़िलाधीश ओहदे पर रहे आईएएस अधिकारियों के काल डिटेल भी सीबीआई ने मांगे है। साल 2000 से लेकर अबतक एक दर्जन से ज्यादा आईएएस जिलाधीश रह चुके है। एसआईटी के सूत्रों के मुताबिक सृजन घोटाले की बुनियाद भी साल 2000 में ही रखी गई थी।

सीबीआई इस सिलसिले में जेल में बंद 18 में से 17 जनों से भी पूछताछ करने की तैयारी में है। एक महेश मंडल की मौत गिरफ्तारी के बाद जेल में हो चुकी है। 20 अगस्त को संदिग्ध हालत में हुई उनकी मौत की भी जांच अदालत अपने स्तर से कर रही है। इधर दूसरे बंदी बैंक आफ बड़ौदा के अवकाश प्राप्त मुख्य प्रबंधक अरुण कुमार सिंह की जेल में तबीयत बिगड़ जाने की वजह से अदालत के आदेश से पटना इलाज के लिए भेजा है। उन्हें भी किडनी की शिकायत है। सीबीआई अधिकारियों ने इस सिलसिले में अदालत जाकर ज़िला जज और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से मुलाकात की है।

गौरतलब है कि भागलपुर की हाल ही में एक बर्खास्त एडीएम जयश्री ठाकुर के खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई ने गुरुवार को आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की दफा के तहत निगरानी कोर्ट में दायर आरोप पत्र में जयश्री ठाकुर के अलावे इनके पति डा. राजेश कुमार चौधरी, इंजीनियर बेटे ऋषिकेश चौधरी और बेटी राजश्री ठाकुर का भी नाम है। इन सबके तार भी सृजन से जुड़े मिले। यह मामला 2013 को उजागर हुआ था। इन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर 13 करोड़ 98 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई की थी। जिसमें से सृजन के अपने खाता संख्या 4552 में 7 करोड़ 55 लाख से ज्यादा जमीन अधिग्रहण के बदले मिला सरकारी मुआवजा जमा कराया था।

आर्थिक अपराध इकाई ने अपनी कार्रवाई में जयश्री ठाकुर और इनके पति, बेटा और बेटी के नाम खुले 76 बैंक खाते, 33 बीमा पॉलिसी, सोना- चांदी और हीरे के कीमती जेबरात, पटना, दानापुर, भागलपुर, बांका, सबौर में जमीन और फ्लैट के कई कागजात जब्त किए थे।

उस वक्त भी सृजन की काली करतूतों के बारे में अधिकारियों को सुराग मिला था। मगर किसी ने इस ओर गौर नहीं किया। तभी दो बैंकों, ज़िला समाहरणालय सृजन की सांठगांठ से योजनाबद्ध तरीके से फर्जीवाड़ा चलता रहा। पुलिस एसआईटी की देखरेख करने वाले अधिकारी ने बताया कि जिला सहकारिता अधिकारी पंकज झा के घर छापेमारी के दौरान मिली फाइल ने तो हैरत में डाल दिया। उसमें सृजन को सरकारी जमीन पट्टे पर देने से लेकर सरकारी खातों से रकम सृजन के खातों में हस्तांतरित करने के आदेश का पत्र तक मिला।

अब फर्जीवाड़े की आंच ब्लाक स्तर तक पहुंच चुकी है। ज़िलाधीश आदेश तितमारे ने प्रखंड और अंचल के हिसाब का लेखाजोखा मांगा है। बताते है कि नॉगछिया, शाहकुंड, सबौर, संहोला, गोराडीह, कहलगांव व पीरपैंती ब्लाक में 50 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। अभी हिसाब किताब मिलान चल रहा है। यह काम पूरा होने पर ही पक्की तौर पर सही आंकड़ा सामने आ सकेगा।

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