हाई कोर्ट ने पूछा- धर्मगुरु बताएं मंदिर और मस्जिदों में क्यों इस्तेमाल होते हैं लाउडस्पीकर्स
इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा इस्लाम और हिंदू धर्म के नेताओं से पूछा गया है कि आखिर मस्जिदों और मंदिरों में लाउडस्पीकर की क्या आवश्यकता है। लाउडस्पीकर के मामले को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने निजी दावेदारों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है जो कि लाउडस्पीकर लगाने के पीछे के तर्क को समझा सकें। बता दें कि योगी सरकार ने आदेश जारी कर कहा था कि बिना इजाजत न तो मस्जिद और न ही मंदिर में लाउडस्पीकर बजाया जाएगा। इतना ही नहीं लाउडस्पीकर बजाने से पहले लोगों को प्रदूषण नियंत्रय बोर्ड की एनओसी लेना आवश्यक है।
इस मामले में हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को 2 मई तक अपना जवाब देने को कहा है। यह आदेश जस्टिस डीबी भौंसले और जस्टिस सुनीत कुमार की बेंच ने जारी किया है। आदेश को जारी करने से पहले हाई कोर्ट ने उन मुद्दों को केंद्रित किया जिसमें लाउडस्पीकर्स के इस्तेमाल को लेकर लोगों को परेशानी हुई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नोटिस जारी किया है। धार्मिक संस्थानों के साथ-साथ हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से भी पूछा है कि क्यों धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर्स लगाए गए हैं।
इसके साथ यह भी कहा गया है कि इसकी आवश्यकता नहीं है और इस पर फिर से विचार करने की जरुरत है। हाई कोर्ट के अनुसार, धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर्स के कारण आस-पास रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है और उनके मुद्दों पर कोई बात नहीं करता है। इसके अलावा हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कैसे लाउडस्पीकर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोका जा सकता है। आपको बता दें कि मस्जिदों और मंदिरों में लगे लाउडस्पीकर्स को लेकर पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है। वहीं इस विवाद में कई बॉलीवुड हस्तियां भी कूद पड़ी थीं।