इन नेताओं के विरोध के कारण कांग्रेस ने रोक दी CGI खिलाफ संसद में महाभियोग लाने की मुहिम
संसद के बजट सत्र के आखिरी दिनों देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मुहिम जोड़ों पर थी मीडिया में भी खबर आई कि महाभियोग से जुड़ा एक प्रस्ताव राज्यसभा सांसदों के बीच बंटवाया गया है लेकिन अचानक यह मुहिम ठंडी पड़ गई और महाभियोग प्रस्ताव राजनीतिक उहापोह के बीच कहीं गुम हो गया। इस बीच, संसद के दोनों सदनों में जारी गतिरोध को देखते हुए 6 अप्रैल को संसद के दोनों सदनों को अनिश्चतकाल के लिए स्थगित कर दिया गया मगर सवाल दौड़ता रह गया कि आखिर उस महाभियोग प्रस्ताव का क्या हुआ जिस पर राज्य सभा के 60 सदस्यों ने दस्तखत किए थे?
मीडीया रिपोर्ट के अनुसार खबर है कि कांग्रेस में गांधी परिवार के सबसे करीबी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस प्रस्ताव पर दस्तखत से इनकार कर दिया था और पार्टी के अंदर दलील दी थी कि यह हमारी पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ है। इस अकेले शख्स के विरोध के बाद कांग्रेस ने सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
न्यूज़ चैनलों और समाचार पत्रों में छपी खबर के अनुसार ऐसी चर्चा है कि मनमोहन सिंह से जब पार्टी के एक सीनियर नेता और अधिवक्ता ने संपर्क किया तो मनमोहन सिंह ने व्यक्तिगत तौर पर उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। मनमोहन सिंह, जो अमूमन बहुत कम बोलते हैं और धीमी आवाज में ही कुछ कहते हैं, ने कहा कि यह कांग्रेस की संस्कृति नहीं रही है कि वह दूसरी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार करे या उसकी गरिमा को ठोस पहुंचाए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि हमें इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि कहीं महाभियोग प्रस्ताव का दूसरे दल राजनीतिक फायदा न उठा लें। ऐसी चर्चा है कि इसके बाद कांग्रेस ने तुरंत फैसला लिया कि इस मुहिम को यहीं रोक देना चाहिए क्योंकि अगर प्रस्ताव पर मनमोहन सिंह के दस्तखत नहीं हुए तो दूसरे राजनीतिक दल खासकर बीजेपी इसका अलग मतलब निकालेगी और राजनीतिक प्रपंच करेगी।
खबर है कि मनमोहन सिंह के अलावा राज्यसभा के दो अन्य वकील सांसदों पूर्व केंद्रीय गृह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम और अभिषेक मनु सिंघवी ने भी व्यक्तिगत स्तर पर इस मुहिम का विरोध किया था और उस पर दस्तखत न करने का इच्छा जताई थी। हालांकि, पार्टी के तीसरे बड़े वकील सांसद कपिल सिब्बल इस मुहिम के पक्ष में जोर-शोर से खड़े थे। सियासी गलियारों में चर्चा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बात को गांधी परिवार के बाद सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती है। शायद इसी वजह से पार्टी ने उनकी बात मानते हुए महाभियोग प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया।