गृह मंत्रालय ने 44 जिलों को माओवादी हिंसा से प्रभावित सूची से हटाया गया
गृह मंत्रालय के अनुसार देश में माओवादी हिंसा में कमी आई है और केंद्र ने 44 जिलों को माओवादी माओवादी हिंसा प्रभावित क्षेत्र की सूची से हटा दिया है। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा के अनुसार, माओवादी हिंसा की गतिविधियों का क्षेत्र बीते चार साल में सिमटा है। सुरक्षा इंतजामों और विकास संबंधी उपायों की रणनीति का यह असर सामने आया है। गौबा ने कहा कि नक्सल विरोधी नीति की विशेषता है हिंसा को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं करना और विकास संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देना। अंदरूनी इलाकों में स्थित गरीबों और हिंसा प्रभावित इलाकों तक लोगों की पहुंच बनाने के लिए नई सड़कों, पुलों, टेलीफोन टॉवरों के निर्माण पर ध्यान दिया गया है। जरूरतमंदों को इसका लाभ भी मिला है।
समाचार एजंसी भाषा के अनुसार, ‘गौबा ने कहा कि 44 जिलों में वाम चरमपंथ या तो है ही नहीं या फिर उसकी मौजूदगी न के बराबर है। नक्सली हिंसा अब उन 30 जिलों तक सीमित रह गई है, जो जिले कभी इससे बुरी तरह प्रभावित थे।’ गौबा के अनुसार, गृह मंत्रालय ने 10 राज्यों में 106 जिलों को वाम चरमपंथ प्रभावित की श्रेणी में रखा है। ये जिले सुरक्षा संबंधी खर्च (एसआरई) योजना के तहत आते हैं। इसका उद्देश्य सुरक्षा संबंधी खर्च जैसे ढुलाई, वाहनों को भाड़े पर लेना, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को वजीफा देना, बलों के लिए आधारभूत ढांचे का निर्माण आदि के लिए भुगतान करना है। श्रेणीबद्ध करने से सुरक्षा और विकास संबंधी संसाधनों की तैनाती पर ध्यान केंद्रित करने का आधार मिल जाता है।
बीते कुछ वर्षों में कुछ जिलों को छोटे जिलों में विभाजित किया गया है। इसके परिणामस्वरूप 106 एसआरई जिलों का भौगोलिक इलाका 126 जिलों में फैला है। गृह मंत्रालय ने प्रभावित जिलों के निरीक्षण के लिए हाल में राज्यों के साथ व्यापक स्तर पर बातचीत की और जमीनी हकीकत के मद्देनजर बलों और संसाधनों की तैनाती रूपरेखा तैयार की। इस तरह एसआरई सूची से 44 जिलों को बाहर किया गया और आठ नए जिलों को इसमें जोड़ा गया। माओवादी भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कवायद में जुटे हैं। इसलिए एसआरई जिलों की कुल संख्या 90 है। इसी तरह माओवाद से बुरी तरह प्रभावित जिलों की संख्या 35 से घटकर 30 रह गई है।