रोहिंग्या परिवार को वापस बुलाने के म्यांमा के दावे को बांग्लादेश ने खारिज किया

बांग्लादेश ने आज म्यांमा के इस दावे को खारिज किया है कि बौद्ध बहुल राष्ट्र ने रोहिंग्या समुदाय के कुछ लोगों को वापस लेना शुरू कर दिया है। म्यांमा के करीब 700,000 रोहिंग्या सेना नीत हिंसा से बचने के लिए पड़ोसी मुल्क भाग गए थे। म्यांमा सरकार ने शनिवार को एक बयान में कहा कि परिवार के पांच सदस्य सीमांत इलाके से पश्चिमी रखाइन राज्य लौट आए। इसमें कहा गया है कि परिवार अस्थायी रूप से मौंडगाउ शहर में अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं जो सरहद के पास प्रशासनिक केंद्र है।

बयान में कहा गया है कि प्राधिकारियों ने यह पता लगाया कि क्या वे म्यांमा में रहते थे और उनके पास राष्ट्रीय सत्यापन कार्ड था। इसका मतलब यह नागरिकता नहीं है। म्यांमा रोहिंग्या को नागरिकता देने से इनकार करता है और उन्होंने दशकों से जुल्म का सामना किया है। बांग्लादेश ने म्यांमा को स्वदेश वापसी के लिए 8000 से ज्यादा शरणार्थियों की एक सूची सौंपी है , लेकिन जटिल सत्यापन प्रक्रिया की वजह से देरी हो रही है।
बांग्लादेश के गृह मंत्री असद – उज्जÞमां खान ने आज कहा कि म्यांमा का यह दावा झूठा है कि परिवार वापस स्वदेश चला गया है। उन्होंने कहा कि परिवार कभी भी बांग्लादेशी के क्षेत्र में नहीं आया था। खान ने कहा कि म्यांमा का कदम कुछ नहीं बल्कि एक स्वांग है। उन्होंने कहा , ‘‘ मुझे उम्मीद है कि म्यांमा कम से कम मुमकिन वक्त में सभी रोहिंग्या परिवारों को वापस लेगा। बांग्लादेश के शरणार्थी और स्वदेश वापसी आयुक्त अबुल कलाम ने कोक्स बाजार से फोन पर कहा कि कोई भी स्वदेश वापस नहीं गया है। ’’ काक्स बाजार बांग्लादेश का एक जिला है जहां रोहिंग्या समुदाय ने शरण ली हुई है।

पिछले साल 25 अगस्त को विद्रोहियों के हमले के बाद म्यांमा के सुरक्षा बलों पर रोहिंग्या समुदाय के घरों को जलाने , बलात्कार करने , हत्या करने और प्रताड़ित करने के आरोप है। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने सेना की कार्रवाई को ‘ नस्ली सफाया ’ करार दिया है। हिंसा से बचने के लिए करीब 700,000 रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी बांग्लादेश भाग गए थे।

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