कैबिनेट मंत्री के कारण फंस गए सीएम देवेंद्र फडणवीस
बीते तीन साल से सत्ता चला रहे महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस फंस गए हैं. इस बार वो अपने ही एक मंत्री प्रकाश मेहता पर करप्शन के आरोपों से घिर गए हैं. सीएम की मजबूरी ये है कि वो चाहकर भी मेहता को हटा नहीं सकते. मेहता इकलौते गुजराती मंत्री हैं और बीजेपी प्रमुख अमित शाह के करीबी हैं.
अब फडणवीस उनका बचाव कर रहे हैं, लेकिन राज्य में चार दिन से विधानसभा में कोई कामकाज ही नहीं हो रहा. फडणवीस अब तक करप्शन के दाग से बचते रहे हैं. उन पर कोई सीधा आरोप भी नहीं लगा है. उनके मंत्री, पंकजा मुंडे और विनोद तावड़े पर आरोप लगा लेकिन वो भी साबित नहीं हुआ. हां राजस्व मंत्री रहे एकनाथ खड़से को जरूर जमीन हथियाने के आरोप में खुद ही इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि तब भी फडणवीस को मुश्किल नहीं हुई थी, लेकिन इस बार उनकी मुश्किल कुछ और ही है.
दरअसल गृहनिर्माण मंत्री प्रकाश मेहता ने एक बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए एक फाईल आगे बढ़ा दी. बिल्डर को इससे करीब 600 करोड़ का फायदा होने वाला था. इसमें बिल्डर को अतिरिक्त जमीन मिलती. सीएम फडणवीस के पास शहरी विकास मंत्रालय है और इस मामले में उनकी मंजूरी भी जरूरी थी. लेकिन जब अफसरों ने पूछा तो मेहता ने बिना फडणवीस को पूछे ही लिख दिया कि उनकी सीएम से बात हो गई है और सीएम ने मंजूरी दे दी है. फडणवीस को पता चला तो उन्होंने अलॉटमेंट कैंसल कर दिया.
अब मामला खुला तो सीएम ने पहले विधानसभा में पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा कि उनको पता ही नहीं था, जब पता चला तो अलॉटमेंट कैंसल कर दिया. प्रकाश मेहता को भी विधानसभा में मानना पड़ा कि सीएम से पूछा ही नहीं था.
जाहिर है विपक्ष को मुददा मिल गया है. दो दिन पहले ही सीएम ने करप्शन के एक मुददे पर सड़क परिवहन विभाग के प्रमुख राधेश्याम मोपलवार को हटा दिया था. अब विपक्ष प्रकाश मेहता के पीछे पड़ा है. लेकिन सीएम परेशान हैं.
मेहता हमेशा से अमित शाह से अपनी करीबी और दिलली में पहचान के नाम पर सीएम को परेशान करते रहे हैं. मेहता महाराष्ट्र सरकार में इकलौते गुजराती मंत्री भी हैं. सीएम उनको हटाकर दुशमनी नहीं मोल लेना चाहते. लेकिन अगर मेहता मंत्री बने रहे तो सीएम पर हमले होते रहेंगे और विपक्ष को कहने का मौका मिलता रहेगा कि बीजेपी सरकार करप्शन फ्री नहीं है. जाहिर है जब तक दिलली साथ नहीं देती, फडणवीस की मुश्किल कम नहीं होगी.