अरविंद केजरीवाल के अहम सहयोगी आशीष खेतान ने दिल्ली डायलॉग कमीशन से दिया इस्तीफा
आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और दिल्ली डायलॉग कमीशन (डीडीसी) के उपाध्यक्ष आशीष खेतान ने बुधवार (18 अप्रैल, 2018) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। खेतान ने कहा है कि वह अब वकालत के पेशे में जाना चाहते हैं। हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि आप नेता पार्टी संगठन में लौट आएंगे। पूर्व में एक खोजी पत्रकार के रूप में तहलका मैगजीन के लिए कई सालों तक काम करने वाले खेतान ने अपने इस्तीफे की जानकारी ट्वीट कर दी है। बता दें कि आशीष खेतान को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का विश्वासपात्र माना जाता है। केजरीवाल ने ही उन्हें तीन साल पहले इस पद पर नियुक्त किया था। केजरीवाल वर्तमान में डीडीसी के अध्यक्ष हैं।
खोजी पत्रकारिता का वेब पोर्टल ‘Gulail’ चला रहे खेतान ने ट्वीट कर लिखा, “मैंने डीडीसी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, जो 16 अप्रैल, 2018 से प्रभावी है।” ट्वीट में आगे लिखा कि पिछले तीन सालों में उन्हें सार्वजनिक नीति को आकार देने और शासन में सुधार के साथ परिवर्तन लाने के लिए कई अनोखे अवसर मिले। इस अवसर के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वो शुक्रगुजार हैं। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, “मैं कानूनी पेशे से जुड़ रहा हूं और दिल्ली बार एसोसिएशन में पंजीकरण करा रहा हूं, जिसकी वजह से डीडीसी से इस्तीफा देना जरूरी है। बार काउंसिल के नियमों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति वकालत करते समय निजी या सरकारी नौकरी नहीं कर सकता।”
गौरतलब है कि पिछले साल आशीष खेतान ने जान का खतरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी। इस मामले में तब अपनी दलीलें देते हुए उन्होंने कहा था कि दक्षिणपंथी संगठनों से उन्हें जान का खतरा है। तब खेतान ने कहा था कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिली है। उन्होंने ट्वीट में एक पत्र का भी जिक्र किया था, जिसमें लिखा गया था, “हम तुम्हें सूचित करना चाहते हैं कि तुम्हारे पापों का घड़ा भर चुका है। अब समय आ गया है कि दुष्ट शिशुपाल की तरह तुम्हारा संहार किया जाए। तुम्हारे जैसे पत्रकारों की वजह से साध्वी प्रज्ञा सिंह जैसे संतों को सालों तक जेल में सड़ना पड़ा। वीरेंद्र सिंह तावड़े जैसे आध्यात्मिक सज्जनों को भी जेल भिजवाने में तुम्हारा ही हाथ था। सीबीआई में बैठे नन्द कुमार नायर जैसे दुर्जनों की मदद से तुमने संतों के साथ छल किया है। तुम्हारे जैसे दुर्जन हिंदू राष्ट्र में मृत्युदंड के पात्र हैं और यह कार्य ईश्वर की इच्छा से बहुत जल्द पूरा होगा।”