लोया केस में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को लगाई फटकार- राजनीतिक बदला लेने का जरिया बना PIL
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस से जुड़े जज बीएच लोया की कथित संदिग्ध मौत के मामले में जांच की मांग सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों को फटकार भी लगाते हुए नसीहत दी है।मौत की जांच कराए जाने की मांग खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देखने में आ रहा है कि बिजनेस और राजनीतिक हित साधने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दाखिल की जा रहीं हैं। ऐसी जनहित याचिकाओं पर विचार करने में न्यायपालिका का काफी वक्त बर्बाद होता है, जिससे दूसरे मामलों में न्याय देने में देरी होती है। उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर बाजार या चुनाव में लड़ाई करनी चाहिए, उन मुद्दों को लेकर सुप्रीम कोर्ट को अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए।
SC said courts are not the place to settle business or political rivalry, which should be fought in markets or in elections.
— Dhananjay Mahapatra (@toi_dhanajayM) April 19, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिंह और प्रशांत भूषण को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप लोगों ने इस केस के बहाने न्यायपालिका पर सीधा हमला करना शुरू कर दिया। यह कहकर कि नागपुर गेस्ट हाउस में जज लोया के साथ ठहरने वाले तीन न्यायिक अधिकारियों की बात पर भरोसा न किया जाए, जिन्होंने हार्ट अटैक से मौत की बात कही। पीठ ने कहा कि जज लोया के मामले में एक पत्रिका और अखबार ने एकतरफा रिपोर्टिंग कर न्यायपालिका की छवि धूमिल करने की कोशिश की।
SC said these days avalanche of PILs is being filed to settle business and political scores and the judiciary is unnecessarily made to spend precious time looking into such PILs which leads to delay in giving justice in other cases.
— Dhananjay Mahapatra (@toi_dhanajayM) April 19, 2018
Writing the judgment for the bench, Justice Chandrachud said when Loya matter was brought to SC, a magazine and a daily newspaper published motivated reports to malign judiciary.
— Dhananjay Mahapatra (@toi_dhanajayM) April 19, 2018