लोया केस में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को लगाई फटकार- राजनीतिक बदला लेने का जरिया बना PIL

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस से जुड़े जज बीएच लोया की कथित संदिग्ध मौत के मामले में जांच की मांग सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों को फटकार भी लगाते हुए नसीहत दी है।मौत की जांच कराए जाने की मांग खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देखने में आ रहा है कि बिजनेस और राजनीतिक हित साधने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दाखिल की जा रहीं हैं। ऐसी जनहित याचिकाओं पर विचार करने में न्यायपालिका का काफी वक्त बर्बाद होता है, जिससे दूसरे मामलों में न्याय देने में देरी होती है। उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर बाजार या चुनाव में लड़ाई करनी चाहिए, उन मुद्दों को लेकर सुप्रीम कोर्ट को अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए।

 

सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिंह और प्रशांत भूषण को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप लोगों ने इस केस के बहाने न्यायपालिका पर सीधा हमला करना शुरू कर दिया। यह कहकर कि नागपुर गेस्ट हाउस में जज लोया के साथ ठहरने वाले तीन न्यायिक अधिकारियों की बात पर भरोसा न किया जाए, जिन्होंने हार्ट अटैक से मौत की बात कही। पीठ ने कहा कि जज लोया के मामले में एक पत्रिका और अखबार ने एकतरफा रिपोर्टिंग कर न्यायपालिका की छवि धूमिल करने की कोशिश की।

 

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