तमिलनाडु में आठवीं के स्कूली छात्रों को यौन उत्पीड़न से बचने को लिए दी जा रही विचित्र सलाह
यौन उत्पीड़न से बचने को लिए तमिलनाडु में स्कूली छात्रों को विचित्र सलाह दी जा रही है। छात्राओं को बताया जा रहा है कि वे भड़काऊ कपड़े न पहनें। राज्य सरकार ने आठवीं कक्षा के विज्ञान की किताब में यौन उत्पीड़न या हिंसा से बचने के कुछ तरीके बताए हैं। पाठ्यपुस्तक में सलाह दी गई है, “जब आप ऑटो, बस या ट्रेन से स्कूल जा रहे हों तो विपरीत सेक्स के लोगों से सुरक्षित दूरी बनाकर रखें। बैठने के तौर-तरीकों पर विशेष ध्यान दें और भड़काऊ कपड़े न पहनें।” ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के अनुसार, तमिलनाडु सरकार पिछले 12 वर्षों से इस किताब को प्रकाशित कर रही है, लेकिन 19 अप्रैल को इसे ऑनलाइन किया गया था। किताब को ‘संतुलित शिक्षा प्रणाली’ के तहत प्रकाशित किया जा रहा है। इसके बाद किताब की विषय-वस्तु को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा आपत्ति जताई जाने लगी है। यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब उन्नव और कठुआ सामूहिक दुष्कर्म के मामलों को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक पैमाने पर नाराजगी है।
तमिलनाडु के स्कूली शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव प्रदीप यादव ने कहा कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है। उन्होंने इस मामले पर गौर करने की बात भी कही है। राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक जी. अरिवोली के मुताबिक, इस किताब को प्रकाशित करने की मंजूरी 12 साल पहले ही दी गई थी। उन्होंने कहा, “यह बहुत पहले किया गया था। सभी अध्याय को फिर से संशोधित किया जाएगा। यौन उत्पीड़न से बचने के लिए हम लोगों ने इस बार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अधिकारियों से संपर्क कर विचार-विमर्श किया है और विशेष जानकारी मांगी है।” उन्होंने बताया कि सरकार अब छठवीं कक्षा से ही ‘प्रगतिशील यौन शिक्षा’ लाने पर विचार कर रही है। बाल अधिकार से जुड़े संगठनों ने तमिलनाडु सरकार की दलीलों को खारिज किया है। यौन शोषण के शिकार बच्चों के हितों के लिए काम करने वाली संस्था ‘नक्षत्र’ के सह-संस्थापक शेरिन बॉस्को का कहना है कि पाठ्यपुस्तक में शामिल विषय-वस्तु से ऐसा लगता है जैसे बलात्कार के लिए पीड़िता ही जिम्मेदार है। बता दें कि कठुआ में एक आठ साल की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या के बाद यौन उत्पीड़न को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई है।