पैसों के संकट में फंसी भारतीय सेना, नहीं खरीदेगी कई महंगे हथियार और गोला-बारूद

रक्षा बजट में सीमित आवंटन के कारण धन की कमी से जूझ रही भारतीय सेना महंगे हथियार और गोला-बारूद यह जानते हुए भी खरीद पाने में असमर्थ है कि जंग होने की सूरत में इसकी मौजूदा मात्रा 10 दिनों के लिए भी पर्याप्त नहीं होगी। धन बचाने के अन्य उपायों के साथ सेना ने यह कदम उठाया है, इसकी वजह से जरूरी गोला-बारूद में 15-25 फीसदी की अनुमानित कमी देखी जा रही है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की अध्यक्षता में सेना के कमांडरों के सम्मेलन में इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया गया। सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने की संभावना हैं, इसमें 10 दिनों की भीषण जंग के लिहाज से स्मर्च रॉकेट, कोंकुर मिसाइल, टैंक ऐमुनिशन (एपीएफएसडीएस, स्मोक) और प्रभावी माइन्स आदि गोला-बारूद की मात्रा में कमी का जिक्र किया गया है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि सेना के पास जंग की सूरत में 40 दिनों का गोला-बारूद होना चाहिए, इस लिहाज से भीषण जंग के दौरान 10 दिनों के लिए गोला-बारूद की उपलब्धता बेहद नाजुक कही जाएगी।

पिछले साल सीएजी ने भी अपनी रिपोर्ट में सेना के गोला-बारूद की गंभीर कमी के बारे में चेताया था। सूत्रों के हवाले खबर यह भी है कि सेना अब विंटेज उपकरणों पर पैसा खर्च करने के बजाय नए उपकरणों की खरीद में लगाएगी। पिछले महीने सेना उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल सरथ चंद ने रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति को बताया था कि 68 फीसदी सेना के उपकरण विंटेज श्रेणी के हैं। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया- ”अगले 2-3 वर्षों में गोला बारूद में खासी कमी को देखते हुए सीमित बजट को सही से इस्तेमाल करने के उद्देश्य से इन उपायों की सिफारिश की जा रही है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि खर्च को प्राथमिकता देकर अगले तीन वर्षों में हर साल 600-800 करोड़ रुपये की बचत कर लेंगे।”

अधिकारी ने यह भी कहा कि सेना इस साल एक सप्लीमेंटरी बजट आवंटन की भी उम्मीद कर रही है। सूत्रों ने बताया कि पिछले दो वित्तीय वर्षों में सेना ने गोला बारूद की आपातकालीन खरीद के तहत 11,000 करोड़ रुपये खर्च किए और जंग के लिहाज से 10 दिनों के लिए असलहा और गोला-बारूद की कमी से निपटने के लिए 15,000 करोड़ रुपये खर्च किए। सरकार ने इसके लिए कोई अतिरिक्त धन आवंटित नहीं किया।

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