सीएम बनना चाहते थे यशवंत सिन्हा पर नितिन गडकरी और आडवाणी ने अटका दिया था रोड़ा

करीब साढ़े तीन दशक तक सक्रिय राजनीति में रहने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने आज (21 अप्रैल को) दलगत राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। वो लंबे समय से केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते रहे हैं। यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रह चुके हैं। उन्हें लालकृष्ण आडवाणी का करीबी समझा जाता है लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब वो आडवाणी से ही नाराज हो गए थे। कहा जाता है कि साल 2002 में जब झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सरकार गठन के 28 महीने बाद ही इस्तीफा दे दिया तब यशवंत सिन्हा खुद सीएम बनना चाहते थे। उस वक्त सिन्हा केंद्र सरकार में वित्त मंत्री थे। लेकिन उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और नितिन गडकरी ने यशवंत सिन्हा के सीएम बनाए जाने का पार्टी में विरोध किया था। इस वजह से सिन्हा अपने गुरू आडवाणी और नितिन गडकरी से लंबे समय तक नाराज रहे थे।

आज तक के खास कार्यक्रम ‘थर्ड डिग्री’ में यशवंत सिन्हा ने अपनी महत्वाकांक्षा की बात तो कबूल की थी लेकिन इस बात से इनकार किया कि वो आडवाणी और गडकरी से नाराज थे। उन्होंने कहा कि वो अगर चाहते तो झारखंड का सीएम बन सकते थे। उन्होंने इस धारणा को गलत करार दिया। जब उनसे पूछा गया कि सिन्हा महत्वाकांक्षी हैं तो उन्होंने कहा कि वो खुद की जगह हमेशा से पार्टी को ज्यादा महत्व देते रहे हैं।

बता दें कि यशवंत सिन्हा नोटबंदी और जीएसटी समेत कई मुद्दों पर मोदी सरकार की आलोचना कर चुके हैं। इसी हफ्ते की शुरुआत में उन्होंने बीजेपी सांसदों को खुला खत लिखकर पार्टी नेतृत्व के सामने आंतरिक चुनौतियों के बारे में बोलने की अपील की थी। सिन्हा ने अपने लंबे पत्र में लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से भी पार्टी को बचाने की अपील की थी। गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा फिलहाल राज्य सभा सांसद हैं और उनके बेटे जयंत सिन्हा मोदी सरकार में मंत्री हैं। यशवंत सिन्हा ने ही बीजेपी में सबसे पहले मोदी को पीएम बनाने और देश में मोदी लहर की बात कही थी।

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