पूर्व सीपीएम नेता को नौ साल पहले कांग्रेस कार्यकर्ता के खून के आरोप में हुई फांसी की सजा

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के एक पूर्व नेता को फांसी की सजा सुनाई गई है। नौ साल पहले सीपीएम नेता ने कांग्रेस पार्टी के एक कार्यकर्ता का खून कर दिया था। कोर्ट ने उसी मामले में पूर्व नेता को फांसी की सजा का ऐलान किया। पूर्व नेता के साथ कोर्ट ने पांच अन्य दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। केरल के आलप्पुषा में अतरिक्त जिला सत्र अदालत के न्यायाधीश अनिल कुमार शनिवार (21 अप्रैल) सुबह इस मामले की सुनवाई कर रहे थे।

यह मामला साल 2009 का है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 29 नवंबर को 56 वर्षीय कांग्रेस वॉर्ड अध्यक्ष के.एस.दिवाकरण पर हमला हुआ था, जबकि नौ दिसंबर को उनकी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। आलप्पुषा जिला स्थित चेरथला शहर में के.आर.बाइजू सीपीएम के तत्कालीन स्थानीय सचिव पर हत्या का आरोप लगा था। पुलिस की जांच-पड़ताल में तब सामने आया था कि सीपीएम नेता के नेतृत्व में कई लोगों ने कांग्रेसी के आवास पर हमला बोल दिया था, जिसमें वह गंभीर रूप से जख्मी हुआ था।

हमले में न केवल कांग्रेसी कार्यकर्ता जख्मी हुआ था, बल्कि उसका बेटा दिलीप और बहू रश्मि भी चोटिल हुए थे। ये दोनों कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे थे। बेटा और बहू तो बच गए, लेकिन सीपीएम नेता यहां जिंदगी से अपनी जंग हार गए। उनके सिर में चोट आई थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

कोर्ट ने इस मामले में जिन पांच लोगों को दोषी ठहराया था, उनकी शिनाख्त 38 वर्षीय वी.सुजीत उर्फ मंजू, 38 वर्षीय सतीश कुमार उर्फ कन्नन, 32 वर्षीय वी.प्रवीण, 45 वर्षीय एम.बेन्नी और 45 वर्षीय एन.सेथु कुमार के रूप में हुई थी।

शुरुआत में सीपीएम नेता बाइजू का नाम चार्जशीट में दाखिल नहीं किया गया था। लेकिन मामले को लेकर बाद में हुए कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों और धरनों के बाद पूर्व सीपीएम नेता का नाम छठे आरोपी के रूप में जोड़ा गया था। कांग्रेसी की हत्या मामले में नाम आने के बाद उन्हें सीपीएम ने स्थानीय सचिव के पद से हटा दिया था।

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