‘बलात्‍कार कभी नहीं रोके जा सकते’ ऐसे बयान देने वालों पर एक्‍शन की बजाय चुप क्‍यों हैं पीएम?: कांग्रेस

बलात्कार की घटनाओं पर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के बयान की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने आज कहा कि भाजपा के ऐसे मंत्रियों और नेताओं पर कार्रवाई करने की बजाय प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी मौन धारण किए हुए हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा की सरकारें बलात्कार और अनाचार के मामलों में सिर्फ कार्रवाई करने में नाकाम नहीं रही हैं, बल्कि ऐसे मामलों के जिम्मेदार लोगों को संरक्षण दे रही हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘केवल कानून बनाने से बलात्कार नहीं रुकेंगे, बल्कि कार्रवाई करने से रुकेंगे।’’ कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘‘ क्या कारण है कि पिछले चार वर्षों में बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाएं 300 फीसदी बढ़ गई हैं? क्या कारण है भाजपा शासित राज्यों में बलात्कार, अनाचार, महिलाओं से छेड़छाड़ और महिलाओं को अगवा करने की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है?

आज देश की बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। नया नारा है भाजपा से बेटी बचाओ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा शासित राज्यों में प्रशासन बलात्कारियों और अनचारियों को संरक्षण दे रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा मंत्री और नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जिनसे अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं। ऐसे नेताओं पर कार्रवाई करने की बजाय प्रधानमंत्री मौन हैं।’’ गौरतलब है कि गंगवार ने कल बरेली में संवाददाताओं से बातचीत में देश में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के बारे में कहा ‘‘ऐसी घटना दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं, पर इन्हें कभी रोका नहीं जा सकता है। सरकार सब जगह सक्रिय है, तत्पर है, कार्रवाई कर रही है। ये सबको दिखायी दे रहा है।’’ मंत्री ने कहा ‘‘पर इतने बड़े देश में एक-दो घटनाएं अगर हो जाएं तो इसको बतंगड़ बना के काम किया जाए, यह उचित नहीं है।

सरकार प्रभावी कदम उठा रही है। जो भी आवश्यक होगा, किया जाएगा।‘‘ मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश द्वारा आरएसएस को लेकर कथित तौर पर की गई टिप्प्णी का हवाला देते हुए सुरजेवाला ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य की बात है कि आजकल कुछ न्यायाधीश न्याय देने की बजाय राजनीतिक बयानबाजी में शामिल हो रहे हैं। एनआईए अदालत के न्यायाधीश भाजपा से जुड़े संगठनों के पक्ष में बोल रहे हैं।….जब न्यायाधीश न्याय देने की बजाय राजनीतिक बयानों में लग जाएंगे तो फिर न्यायपालिका का क्या होगा?’’ उन्होंने कहा, ‘‘शायद यही वजह है कि उच्चतम न्यायालय के चार सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है।’’

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