आर्टिकल में मोदी पर बरसा पाकिस्तानी अखबार- विपक्ष बर्दाश्त नहीं, घमंडी सरकार कर रही लोकतंत्र की हत्या
पाकिस्तानी अखबार डॉन की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में भारत सरकार को घमंडी, लोकतंत्र की हत्या करने वाला और विपक्ष को बर्दाश्त नहीं करने वाला बताया गया है। अखबार के मुताबिक ‘Subversion of democracy’ (लोकतंत्र का विनाश) शीर्षक वाला लेख दिल्ली की पत्रकार Latha Jishnu के द्वारा लिखा गया है। लेख साधुओं की परिभाषा से शुरू होता है, जिसमें लिखा गया है कि समस्या एक मौलिक स्तर पर शुरू होती हैं। कोई साधु को परिभाषित कैसे कर सकता है? लेख में कहा गया है कि कैंब्रिज अंग्रेजी शब्दकोष में एक साधु को हिंदुओं का पवित्र आदमी बताया गया है, खास तौर पर वह आदमी जो समाज से अलग जीवन चुन चुका होता है, जबकि कोलिन्स के शब्दकोश में भी उसे उसी से मिला-जुला एक घूमने वाला पवित्र आदमी बताया गया है। लेख में कहा गया है कि भगवा भारत में अब इनमें से कोई भी प्रासंगिक नहीं है। केंद्र और 29 राज्यों में से ज्यादातर में सत्तारूढ़ भगवा भारतीय जनता पार्टी के होते हुए साधु राजनीति करने लगे हैं और बड़ी ताकत रखते हैं।
लेख में कहा गया है कि इस महीने की शुरुआत में इस प्रजाति (संत समाज) के पांच साधुओं को वृक्षारोपण और जन संरक्षण के लिए समिति बनाने के बाद भाजपा शासित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा राज्य के मंत्रियों की रैंक से नवाजा गया था। यह एक सीधा समझौता था। साधु एक आंदोलन के लिए धमका रहे थे और उन्हें खरीद लिया गया। लेख में आगे कहा गया कि दिल्ली सरकार के सलाहकारों के अच्छा काम करने के बावजूद मोदी सरकार ने उन्हें हटा दिया। लेख में कहा गया है कि ये सलाकार बिना पैसों के काम कर रहे थे, जिनमें शिक्षा मंत्री की सलाहकार आतिशी मार्लिना भी थीं। लेख में कहा गया है कि तुच्छ और विरोधाभासी लगने पर मोदी सरकार विपक्षियों के साथ ऐसा ही व्यवहार करती है।
लेख में कहा गया है कि मोदी लहर को खत्म करने वाली आम आदमी पार्टी को मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से लगातार निशाने पर ले रही है। लेख में चुनाव आयोग को मोदी सरकार का नौकर करार दिया गया है। पिछले दिनों लाभ के पद मामले में आप के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बारे में हाईकोर्ट की चुनाव आयोग को लताड़ का भाी जिक्र किया गया है। बीजेपी पर सुप्रीम कोर्ट को भी कमजोर करने का आरोप लगाया गया है, जिसके लिए जज लोया मामले में जस्टिस दीपक मिश्रा के आगे से किसी याचिका पर मनाही के फैसले की बात कही गई है। लेख में कांग्रेस की अगुवाई में सात विपक्षी दलों की जस्टिस दीपक मिश्रा पर महाभियोग की मांग के बारे में भी टिप्पणी की गई है। लेख में कहा गया है कि ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ वाली बात मोदी की लोकतंत्र के बारे में घटिया सोच को दर्शाती है।