पानमुनजोम में नया इतिहास रच सकते हैं उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन शुक्रवार को पानमुनजोम के युद्धविराम ग्राम में दक्षिण कोरिया के नेता मून जाए – इन के साथ शिखर बैठक के लिए असैन्यकृत क्षेत्र से गुजरेंगे और उनके कुछ कदम एक नया इतिहास रच सकते हैं। दोनों कोरिया के सियासी नेताओं के बीच इस शिखर मुलाकात की कार्यसूची में उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों का जखीरा ऊपर होगा। करीब 65 साल पहले खत्म हुए कोरियाई युद्ध के बाद यह पहला मौका होगा जबकि उत्तर कोरिया के नेता दक्षिण कोरिया की जमीन पर अपना कदम रखेंगे। दोनों कोरिया के बीच इस शिखर वार्ता के बाद किम की मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होने की उम्मीद है।
पिछले कुछ माह के दौरान कोरियाई प्रायद्वीप में बहुत तेज घटनाक्रम हुए। पिछले साल अपना छठा और अब तक का सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण करने और अमेरिकी सरजमीं तक मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण करने के बाद किम इन वार्ताओं के लिए जमीन तैयार कर चुके हैं। उन्होंने अपनी बहन को शरतकालीन ओलंपिक्स में भेजा और सुरक्षा गारंटियों के एवज में कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु मुक्त बनाने की पेशकश की। ट्रंप ने शिखर बैठक की किम की पेशकश स्वीकार कर ली।
दोंगगुक विश्वविद्यालय में उत्तर कोरियाई अध्ययन के प्रोफेसर कोह ने इसपर टिप्पणी करते हुए कहा , ‘‘ उत्तर कोरिया के शब्दों की व्याख्य करने के ढेर सारे भिन्न तरीके हैं — जस का तस व्याख्या , हरफों के पीछे की इबारत पढ़ना या अपनी आशाओं के आइने में उभरते अक्सों को पढ़ना। ’’ उन्होंने कहा कि इसमें तीन खिलाड़ी हैं और मौजूदा प्रक्रिया में उनकी अपनी अलग – अलग मंशाएं हैं।
यू् – ’’ान ने कहा , ‘‘ ट्रंप के लिए सबसे जरूरी चीज उत्तर कोरिया को अपना आईसीबीएम पूरा करने से रोकना है। उत्तर कोरिया के लिए अमेरिका को सैन्य हमले से रोकना और अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए परमाणु शक्ति के रूप में मोल – तोल करना है। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ दक्षिण कोरिया शांतिपूर्ण हल और दक्षिण – उत्तर संबंध बहाल करने के लिए उत्तर कोरिया और अमेरिका को वार्ता की मेज पर लाना चाहता है। ’’ इससे पहले उत्तर कोरिया प्रायद्वीप को परमाणु हथियार मुक्त बनाने के लिए पहले दक्षिण कोरिया में तैनात 28,500 अमेरिकी सैनिकों की वापसी की मांग करता था।
मून के मुताबिक उत्तर कोरिया ने इस बार साफ – साफ यह मांग नहीं की है , लेकिन वह अब भी ‘‘ सुरक्षा गारंटी ’’ चाहता है। उसकी यह मांग असहमति के लिए बहुत गुंजाइश पैदा करती है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय में उत्तर कोरिया नीति के पूर्व अधिकारी मिनटारो ओबा ने अपनी ट्वीट में कहा है , ‘‘ उत्तर कोरिया बिना गंभीर रियाअत दिए सार्वजनिक विमर्श को अपने पक्ष में करने में माहिर है। ’