वकालत करते हुए सीधे सुप्रीम कोर्ट में महिला जज बनने जा रही वरिष्ठ अधिवक्ता इंदू मल्होत्रा

वकालत करते हुए सीधे देश की शीर्ष अदालत में महिला जज बनने का ताज इंदू मल्होत्रा के नाम सजने जा रहा।केंद्र सरकार ने आखिरकार वरिष्ठ अधिवक्ता इंदू मल्होत्रा के सुप्रीम कोर्ट का जज बनने का रास्ता साफ कर दिया। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली कोलेजियम के प्रस्ताव को कानून मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी। इंदू मल्होत्रा के अगले सप्ताह शपथ लेने की संभावना है।सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की रेस में उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ थे, मगर उनकी फाइल सरकार ने रोक रखी है। सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनने का रिकॉर्ड एम फातिमा बीवी के नाम है, वह साल में 1988 में देश की सर्वोच्च अदालत की की न्यायाधीश बनी थीं। मगर फातिमा बीवी वकालत करते हुए सीधे नहीं चुनीं गईं थी। मौजूदा समय सुप्रीम कोर्ट के 25 में सिर्फ एक ही महिला जज जस्टिस भानुमति हैं। इस प्रकार इंदू मौजूदा वक्त दूसरी महिला जज होंगी।

प्रोफाइल खंगालने पर पता चलता है कि इंदू मल्होत्रा के नाम काफी उपलब्धियां भी हैं।1956 में बेंगलुरु में जन्म हुआ। परिवार बाद में दिल्ली में बस गया। ओम प्राकाश मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में वकील रहे। बड़े भाई और बहन भी वकील हैं। घर में कानूनी माहौल विरासत में मिला। इंदु ने प्राथमिक शिक्षा कॉर्मल कॉन्वेंट स्कूल से की, इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक और फिर परास्नातक की पढ़ाई की। फिर उन्होंने 1983 में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में पंजीकरण कराकर वकालत शुरू की। वकालत से पहले वे मिरांडा हाउस कॉलेज और विवेकानंद कॉलेज दिल्ली में अध्यापन कर चुकी हैं। पांच साल के भीतर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालत के लिए 1988 में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड परीक्षा दी। इसमें उन्होंने टॉप किया।

जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगीं। वर्ष 2007 में इंदू को वरिष्ठ वकील का दर्जा मिला। इंदू कई वैधानिक निकायों में भी जुड़ीं रहीं वह सेबी, डीडीए, सीएसआइआर, आइसीएआर के लिए भी काम कर चुकी हैं। वह द लॉ एंड प्रैक्टिस ऑफ आर्बिट्रेशन इन इंडिया नामक पुस्तक की सह लेखिका है। वह मध्यस्थता कानून की विशेषज्ञ मानी जाती हैं। कई घरेलू और विदेशी कानूनी विवादों को सुलझा चुकी हैं। 1988 में 26 नवंबर को इंदु को मुकेश गोस्वामी मेमोरियल अवॉर्ड से नवाजा भी जा चुका है।

सुप्रीम कोर्ट में जज बनेंगी इंदू मल्होत्राःवकीलों से भरा है परिवार, पढ़ा चुकी हैं DU के छात्रों को, वकालत की परीक्षा में रहीं हैं टॉपर सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली महिला जज होने का गौरव एम फातिमा बीवी के नाम है। वह 1988 में सर्वोच्च न्यायालय की जज बनीं थीं। इसके बाद जस्टिस सुजाता वी मनोहर, जस्टिस रूमा पाल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई और जस्टिस आर भानुमति सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं। इस वक्त सुप्रीम कोर्ट के 25 जजों में सिर्फ जस्टिस भानुमती ही इकलौती महिला जज हैं। अब इस सूची में शपथ लेने के बाद इंदू मल्होत्रा भी शामिल होने जा रहीं हैं।

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