अखिलेश यादव बोले- भले कांग्रेस का ‘हाथ’ छूट जाए पर बुआ मायावती का ‘हाथी’ दूर ना जाए

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि क्षेत्रीय दलों का गठबंधन ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हरा सकता है। शनिवार (28 अप्रैल) को लखनऊ में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भले ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन न हो पर दोनों दलों के बीच रिश्ते हमेशा से मधुर रहेंगे। अखिलेश का इशारा इस बात की ओर था कि राज्य में सपा-बसपा का गठबंधन जारी रहेगा, भले ही इस वजह से कांग्रेस सपा से दूर हो जाए। गोरखपुर और फुलपुर संसदीय उप चुनाव से पहले 25 साल बाद हुई सपा-बसपा की दोस्ती का एक और फल अखिलेश कैराना उप चुनाव में खाना चाहते हैं। बता दें कि पिछले साल विधान सभा चुनाव साथ लड़ने वाली कांग्रेस ने इन संसदीय उप चुनावों में सपा का साथ नहीं दिया था और दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। विधान सभा चुनाव में कांग्रेस-सपा की दोस्ती से दोनों दलों को नुकसान हुआ था जबकि उप चुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन का इन्हें फायदा मिला था।

इसलिए, अखिलेश चाहते हैं कि अगले साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में भी सपा-बसपा का गठबंधन कायम रहे। इसके लिए वो कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने और सिर्फ मधुर संबंध बनाए रखना चाहते हैं। ताकि केंद्र में गैर बीजेपी सरकार बनने की दशा में फिर से चुनाव बाद कोई गठबंधन किया जा सके। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अखिलेश की इस चाल से न केवल गठबंधन को फायदा होगा बल्कि 2019 के उप चुनाव में दलित-पिछड़े-मुस्लिम और यादव वोटों का ध्रुवीकरण होगा, जो सपा और बसपा उम्मीदवारों को जीत दिलाने में कारगर हो सकता है। इसकी बानगी गोरखपुर-फुलपुर उप चुनावों में दिख चुकी है।

प्रोग्रेसिव काउंसिल की ओर से आयोजित फ्यूचर ऑफ डेमोक्रेसी सेमीनार में अखिलेश ने बीजेपी की केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि विकास की बात करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार भावनात्मक मुद्दों पर राजनीति कर रही है। उन्होंने इन मुद्दों को लोकतंत्र के लिए घातक करार दिया। अखिलेश ने कहा कि बीजेपी लोगों को धर्म और जाति के आधार पर बांटकर बहकाती है, ताकि विकास का मुद्दा पीछे छूट जाए। अखिलेश ने तंज कसा कि अच्छे दिनों का जब नारा दिया गया था तब लोगों ने खुशहाली के सपने देखे थे मगर मोदी सरकार के चार साल ने लोगों को निराश किया है। सरकार लोगों को रोजगार देने, औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने पर फिसड्डी रही है।

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