याद रख पंजाब की भूल, आप का गुजरात कूच
पंजाब और गोवा में मिली करारी हार के बावजूद दिल्ली में हुकूमत चला रही आम आदमी पार्टी गुजरात विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। दीगर है कि पंजाब और गोवा की तरह गुजरात में पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री दिल्ली का राजपाट छोड़कर चुनाव प्रचार करने नहीं जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश में आम आदमी पार्टी की कमान पूरी तरह सूबे में पार्टी के प्रभारी और दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय को सौंपी गई है। राय आगामी 2 अक्तूबर को अमदाबाद में एक रोड शो कर अपनी पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे। आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है गुजरात में पार्टी का संगठन अभी मजबूत स्थिति में नहीं है। इसलिए तय किया गया है कि पार्टी प्रदेश की कुछ चुनिंदा विधानसभा सीटों पर ही किस्मत आजमाएगी। उन्होंने कहा कि आकलन किया जा रहा है कि पार्टी किन-किन सीटों पर मजबूत हालत में है। इन सीटों का चयन करने के बाद तय किया जाएगा कि इनमें से किन-किन पर चुनावी मुकाबले में उतरा जाए। उन्होंने कहा कि इस पूरी तैयारी में गुजरात के पार्टी नेता ही जुटे हुए हैं। जिन-जिन इलाकों में आम आदमी पार्टी प्रभावशाली दिख रही है, वहां पर संबंधित नेताओं ने अपने स्तर पर तैयारी भी शुरू कर दी है।
दिल्ली सरकार के मंत्री और गुजरात में पार्टी के प्रभारी गोपाल राय ने कहा कि असली बात यह है कि आम आदमी पार्टी से पूरे देश ने उम्मीदें लगा रखी हैं। हर प्रदेश में कार्यकर्ता पार्टी के बैनर तले मेहनत कर रहे हैं, अपनी जेब से पैसे खर्च कर रहे हैं। ऐसे में जाहिर तौर पर हमें भी मैदान में उतरने को तैयार रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह बात बिल्कुल ठीक है कि गुजरात में हमारा संगठन कोई बहुत मजबूत स्थिति में नहीं है। लेकिन स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं की मेहनत व आकांक्षा के मद्देनजर पार्टी ने चुनिंदा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हालांकि राय ने स्पष्ट किया कि गुजरात की इस चुनावी लड़ाई से ही यह तय होना है कि पार्टी का दिल्ली से बाहर विस्तार किस स्तर तक किया जाए।
गुजरात विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री व पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा चुनाव प्रचार करने को लेकर पूछने पर राय ने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल अभी अपना ध्यान पूरी तरह दिल्ली में लगाएंगे। गुजरात में आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने के ऐलान से सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बनारस के लोकसभा चुनाव में ताल ठोकने वाले और प्रधानमंत्री के खिलाफ लगातार अपने तीखे बयानों से सुर्खियां बटोरने वाले केजरीवाल गुजरात में भी उनकी सियासी चुनौती देंगे। लेकिन समझा जा रहा है कि आप की कमजोर स्थिति के मद्देनजर ही पार्टी रणनीतिकारों ने उन्हें चुनाव प्रचार से दूर रखने का फैसला किया है।
दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव का अनुभव रहा कि दिल्ली सरकार के सारे मंत्री और ‘आप’ के तमाम विधायक दिल्ली छोड़कर पंजाब और गोवा में पार्टी के प्रचार में जुट गए। इससे विपक्ष को यह कहने का मौका मिल गया कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की कीमत पर समूचे देश में अपना विस्तार करना चाहती है। यही वजह है कि गुजरात में केजरीवाल खुद और उनके मंत्री भी गुजरात के चुनाव प्रचार से दूर ही रहेंगे।